दरअसल इस चुनाव में जीत के बाद सब्जी बेचने वाले एक शख्स शेख बाशा के चेहरे भी बड़ी सी मुस्कान है। वो इसलिए क्योंकि उन्हें चुनाव में जीत हासिल करने के बाद नगर पालिका का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है।
आइए जानते हैं कैसे रातों-रात इस सब्जी बेजने वाले की किस्मत ने पलटी मारी और वो बन गए रायचोटी से नगर पालिका अध्यक्ष।
यह भी पढ़ेंः गुजरात की रुपाणी सरकार का Coronavirus नियमों के उल्लंघन को लेकर अजीब फैसला, जानिए ये कैसा दोहरा नियम डिग्री होने के बाद भी नौकरी नहींदरअसल शेख बाशा पढ़े लिखे ही नहीं बल्कि डिग्री धारक भी है। वे बताते हैं कि डिग्री होने के बाद भी नौकरी ना मिलने के बाद आजीविका चलाने के लिए सब्जी बेच रहा था। जीने के लिए कमाना जरूरी था, यही वजह थी कि मैं गांव में रह कर ही दिशा हीन काम कर रहा था।
लेकिन एक दिन मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने मुझे काउंसिलर के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका दिया। लोगों ने मुझे वोट किया और मेरी जीत ने सबकुछ बदल दिया। अब पार्टी ने मुझे नगर पालिका का अध्यक्ष भी बनाया है। मुझमें क्षमता देखने और पहचानने के बाद अवसर देने के लिए मैं सीएम जगनमोहन रेड्डी को धन्यवाद देता हूं।
सीएम जगनमोहन रेड्डी ने राज्य में पिछड़े समुदायों के लिए सीटों की अधिकतम संख्या को पूरा किया है। हम उन्हें ऐसा करने और मेरे जैसे समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद देते है।
यह भी पढ़ेंः Weather Update: राजधानी में गर्मी ने तोड़ा एक दशक का रिकॉर्ड, सूरज की तपिश ने बढ़ाया तापमान महिलाओं को भी ज्यादा मौकावाईएसआर ने चुनाव में बंपर जीत हासिल की है। राज्य की 86 नगर पालिकाओं/नगर निगमों में से 84 पर कब्जा किया है। खास बात यह है कि उन्होंने महापौर और अध्यक्षों के चुनाव में महिलाओं को 60.47 फीसदी पद और पिछड़े समुदायों को 78 प्रतिशत पद दिए हैं।
मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने प्रदेश में पिछड़े समुदाय के लोगों को सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया। शेख बाशा को टिकट देना और फिर नगर पालिका का अध्यक्ष बनाना ये बताता है कि आर्थिक रूप से पिछड़ों को लेकर भी सीएम खास रणनीति पर काम कर रहे हैं।