भारत के संविधान के निर्माता भीमराव आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महु में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। जबकि 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत बाबासाहेब को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
2015 से आंबेडकर जयंती को देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया है।
एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में आंबेडकर की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है। बाबासाहेब ने हमारी पीढ़ी को दिया समानता का भाव। एक धर्म में बंधने की सोच, महिलाओं को प्रगति का आधार, शिक्षा के प्रति जागरूक जैसी न जानें कितनी बातें जो उनके विचारों के जरिए हमारी पीढ़ी को बतौर विरासत मिलीं।
– समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
– मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है
– मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है
– शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो
बाबासाहेब वैसे तो हर धर्म को समान मानते थे, लेकिन उनके विचारों में जो सबसे अच्छा धर्म था वो था बौद्ध धर्म। उन्होंने कहा था- ‘मैं बुद्ध के धर्म को सबसे अच्छा मानता हूं, इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल बौद्ध धर्म ही हो सकता है सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।’