हर साल श्रद्धालुओं में अमरनाथ यात्रा को लेकर खास जोश रहता है। इसकी तैयारियां भी कई महीनों पहले से शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार कोरोना के कहर के चलते सारी व्यवस्थाएं ठंडी नजर आ रही हैं। अमरनाथ यात्रा के होने न होने पर भी स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। 22 अप्रैल को अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रा को कैंसिल करने की एक प्रेस रिलीज जारी की थी। हालांकि बाद में इसके विरोध पर फैसले को वापस ले लिया गया था। इसके बाद 23 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू होने की बात कही गई थी।
अमरनाथ यात्रा को लेकर जम्मू के राजभवन में 22 अप्रैल को कश्मकश की स्थिति थी। श्राइन बोर्ड की ओर से यात्रा कैंसिल करने की जानकारी दी गई थी। इस सिलसिले में प्रेस रिलीज भी जारी की गई थी, जिसे बाद में कैंसल कर दिया गया। इसके बाद जम्मू सरकार की ओर से इस बार निष्कर्ष निकाला कि त्रा करवाना संभव नहीं है लेकिन यात्रा होगी या नहीं इसका फैसला बाद में लेंगे। बाद में तय हुआ कि इस बार अमरनाथ यात्रा को 30 की जगह 15 दिनों का किया जाए।
श्राइन बोर्ड ने कोरोना के चलते यात्रा का समय सिर्फ 15 दिन करने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत यात्रा के लिए छोटा रूट चुना गया है। श्राइन बोर्ड के अनुसार इस बार यात्रा सिर्फ बालटाल रूट से करवाई जाए। मालूम हो कि यात्रा का पारंपरिक रास्ता पहलगाम, चंदनवाड़ी, शेषनाग, पंचतरणी से होकर जाता है।
अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 1 अप्रेल को शुरू होने थे। यात्रा आरंभ होने से कई महीने पहले रास्ते से बर्फ हटाने का काम किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। इससे पहले पिछले साल केंद्र सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए धारा 370 हटाने के ठीक 3 दिन पहले अगस्त में अमरनाथ यात्रा रोक दी थी। यात्रा रुकने से पहले 3.5 लाख लोग पवित्र गुफा में दर्शन कर चुके थे।