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10 पालकियों को मुहैया कराई जाएंगी 20 बसें
उपमुख्यमंत्री पवार ने बताया कि इन दस पालकियों को वारी पहुंचने के लिए 20 बसें उपलब्ध कराई जाएंगी। पालकी के साथ आने वाले सभी लोगों का RTPCR टेस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही सभी को कोरोना के नियमों का पालन करना अनिवार्य है। इसलिए 100 लोगों को देहु-आलंदी की पालकी के साथ जाने की इजाजत दी गई। उन्होंने बताया कि इन सभी पालकियों को कोरोना के नियमों का पालन करने की शर्त पर ही इजाजत मिली है।
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पैदल चलना मना, शर्तों पर अखाड़ा-रथोत्सव की अनुमति
उन्होंने कहा कि वारी को पैदल चलने की अनुमति नहीं दी गई है। पालकी पैदल चली तो लोग उत्साह में पालकी के चारों ओर भीड़ लगा देंगे। ऐसे में कोरोना नियम का पालन नहीं हो सकता। भीड़ लग जाने संक्रमण का बढ़ सकता है। इसलिए उन्हें चलने की अनुमति नहीं दी गई है। इस बीच उन्होंने कहा कि विट्ठल मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। मन की पालकियों में केवल वारकरी ही मंदिर जा सकते हैं। दूसरों को यह कहने की अनुमति नहीं है कि अखाड़ा और रथ उत्सव को प्रतिबंधों के साथ अनुमति है। इसलिए किसी की भीड़ न हो।
इन 10 पालकियों को मिली अनुमति…
1. संत निवृति महाराज (त्र्यंबकेश्वर)
2. संत ज्ञानेश्वर महाराज (आलंदी)
3. संत सोपान काका महाराज (सासवद)
4. संत मुक्ताबाई (मुक्ताईनगर)
5. संत तुकाराम महाराज (देहु)
6. संत नामदेव महाराज (पंढरपुर)
7. संत एकनाथ महाराज (पैठन)
8. रुक्मिणी माता (कौदनेपुर-अमरावती)
9. संत नीलोबाराई (पिम्पलनेर – परनेर अहमदनगर)
10. संत चंगतेश्वर महाराज (सासवद)