रिपोर्ट के अनुसार, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सबसे अधिक आर्थिक नुकसान उत्तर मध्य भारत के राज्यों में ज्यादा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश को 2.2 फीसदी तो बिहार को दो फीसदी का जीडीपी में नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के इलाज पर खर्च से जीडीपी 0.4 फीसदी प्रभावित हुई है। आइसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण 40 फीसदी रोग फेफड़ों संबंधी व 60 फीसदी इस्केमिक डिजीज हृदय रोग, हृदयाघात, डायबिटीज व नवजात की मौतें हुई हैं।
1990 से 2019 तक 29 सालों में मृत्यु दर में 64 फीसदी की कमी आई है। लेकिन बाहरी परिवेश के वायु प्रदूषण से मृत्यु दर में 115 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हार्ट स्ट्रोक, हार्ट अटैक, डायबिटीज, फेफड़े की बीमारियां, फेफड़े का कैंसर क्यों इतना खतरनाक
– बीमारियों से मौतों में तीसरा सबसे खतरनाक कारण
– 5.3 साल की जीवन-प्रत्याशा में कमी प्रदूषित हवा से
– 77 फीसदी जनसंख्या प्रदूषित वातावरण के बीच रहती
– पूरी दुनिया में 50 लाख से अधिक लोगों की मौतें होती
– 16.7 लाख से ज्यादा लोगों की मौत 2018 में हुई
– 21 फीसदी मौतें नवजातों की वायु प्रदूषण से होतीं
शुद्ध हवा में 78 फीसदी नाइट्रोजन, 21 फीसदी ऑक्सीजन, 0.03 फीसदी कार्बन डाईऑक्साइड व 0.97 फीसदी हाइड्रोजन, हीलियम, ऑर्गन, निऑन, क्रिप्टन, जेनान, ओजोन व जल वाष्प होता है। इनकी मात्रा में बदलाव होने पर यह सेहत के लिए हानिकारक साबित होती है। खासतौर पर कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की वृद्धि होने पर।