उन्होंने कहा कि अब 90 फीसदी से अधिक मरीज कोरोना वायरस के आंशिक लक्षण वाले सामने आ रहे हैं। जबकि प्रारंभिक चरण में कोरोना काफी घातक वाला था। कोविद-19 ( Covid-19 ) से प्रभावित लोगों को आइसोलेशन में रखने की वजह से कोरोना व्यापक स्तर पर फैल नहीं पाया, जिसकी आशंका से सभी चिंतित थे।
Jammu-Kashmir : पुलवामा मुठभेड़ में Jaish के टॉप कमांडर सहित 3 आतंकी ढेर, इंटरनेट सेवा बंद एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 12 से 13 शहरों में 80% से अधिक मामले हैं। यदि हमने हॉटस्पॉट ( Hotspot ) नियंत्रित कर लिए तो कोरोना का पीक दो से तीन हफ्ते में आ जाएगा।
एम्स के निदेशक ( AIIMS Director ) ने कहा कि देश में आईसीयू व वेंटिलेटर वाले मरीज कम हैं। भारतीयों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। यहां बीसीजी वैक्सीन लगी है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और रेमडिसवीर दवाओं पर ट्रायल चल रहे हैं। रेमडिसवीर से रोगियों का अस्पताल में रुकने का समय कम होता है, लेकिन गंभीर मरीजों में मृत्यु दर कम होती हो ऐसा नहीं है।
जहां तक हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की बात है तो यह हल्के लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए लाभदायक रही है। एम्स में सामान्य ओपीडी और सर्जरी ( AIIMS OPD and Surgery ) शुरू होने में समय लग सकता है।
Covid-19 : उत्तराखंड सरकार का फैसला, देश के 75 शहरों से आने पर 21 दिन का quarantine डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पूरे भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है। लेकिन कुछ शहरों में जहां हॉटस्पॉट हैं वहां यह जरूर है। ऐसे स्थानों पर चेन तोड़ने की जरूरत है। इस काम में लोगों को जिम्मेदारी निभानी होगी।
मरीजों की रोजाना वृद्धि दर में भी कमी के संकेत मिले हैं। पिछले चौबीस घंटों में यह 4.3% के करीब रही है। इससे पहले यह 4.5% के करीब।