– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद के अब महिलाएं सेना में कर्नल या उससे ऊपर रैंक पर पदस्थ हो सकती है।
– एक महिला कर्नल अब 850 पुरुषों की एक बटालियन की कमान संभाल सकती है।
– हिलाएं योग्यता के आधार पर ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और सैद्धांतिक रूप से सेना प्रमुख के पद तक बढ़ सकती हैं।
– लेकिन, यह कई लड़ाकू संरचनाओं की अगुवाई करने के अनुभव के बिना लगभग असंभव होगा, जिसे काफी समय से अस्वीकार किया जा रहा है।
– युद्ध अथवा दुश्मनों से मुकाबला करने वाली भूमिकाओं में महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए वह अभी भी पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद कोर में शामिल नहीं हो सकती हैं।
– नागरिकों को अवसर की समानता, लैंगिक न्याय सेना में महिलाओं की भागीदारी का मार्गदर्शन करेगा।
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं के स्थाई कमीशन पर लगाई मुहर यहां आपको बता दें कि कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार अपने दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करें। कोर्ट ने कहा कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। 30 फीसदी महिलाएं वास्तव में लड़ाकू क्षेत्रों में तैनात हैं। स्थायी कमीशन देने से इनकार स्टीरियोटाइप्स पूर्वाग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं। महिला सेना अधिकारियों ने हमेशा देश का गौरव बढ़ाया है।