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आंदोलन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं 90 फीसदी किसान: बार काउंसिल

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बयान जारी कर बताई हकीकत।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों पर स्टे लगाए जाने के बाद किसान संतुष्ट।
बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बयान जारी कर कही बात।

90 percent of farmers not in favour of continuing agitation: Bar Council of India

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ऐतिहासिक कदम बताते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कहा है कि 90 फीसदी “शांतिपूर्ण किसान” आंदोलन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। इसके अलावा बीसीआई ने आंदोलन की आड़ में कुछ लोगों द्वारा अपना स्वार्थ पूरा करने की भी बात कही है।
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बुधवार को एक बयान में कहा, “हर कोई जानता है कि 90 प्रतिशत शांतिप्रिय किसान सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद आंदोलन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन निहित स्वार्थ वाले व्यक्ति देश को अस्थिर करने की कीमत पर भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
मिश्रा ने कहा कि देश के विवेकपूर्ण नागरिकों को किसान आंदोलन के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की सराहना करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने जो कदम उठाया है, वह एक ऐतिहासिक कदम है और यह राष्ट्र के हित में है। उच्चतम न्यायालय के आदेश का उद्देश्य सबसे पहले प्रदर्शनकारी किसानों, बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों को कड़ाके की ठंड, मौसम और कोरोना वायरस से बचाना है। यह आदेश बुजुर्ग लोगों की मौत की पृष्ठभूमि में पारित किया गया है, जिन्होंने लंबे समय तक आंदोलन और गंभीर ठंड और आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवा दी।”
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उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने किसानों द्वारा विरोध किए जा रहे तीन कानूनों के कार्यान्वयन और संचालन पर रोक लगा दी है और अब किसानों को उनके आंदोलन को खत्म कर देना चाहिए।”
बीसीआई के अध्यक्ष ने कहा, “भारत के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ राजनेताओं द्वारा की गई गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां सबसे दुर्भाग्यपूर्ण हैं। किसी भी संवेदनशील राजनेता से ऐसी बेबुनियाद टिप्पणी करने की उम्मीद नहीं की जाती है। इस तरह की टिप्पणी यह स्थापित करने वाली है कि मुट्ठी भर राजनेता केवल अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए हमारे संस्थानों और राष्ट्र को कमजोर करने पर तुले हुए हैं।”
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उन्होंने आगे कहा, “ईमानदार, निष्ठावान और समझदार नागरिकों को अब आगे आना चाहिए और आंदोलनकारी किसानों को समझाना चाहिए कि शीर्ष अदालत के अंतिम फैसले तक उनके आंदोलन को खत्म करें। हम यह समझने में नाकाम हैं कि जो लोग मीडिया में भद्दी और अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं, वे अदालत के सामने पेश नहीं हुए। कानून का पालन करने वाले किसी भी नागरिक के लिए उपलब्ध एकमात्र सहारा है कि अगर किसी के पास समिति के गठन के खिलाफ कोई आधार है तो वह आदेश के संशोधन के लिए सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करे। लेकिन, ये तथाकथित समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं, बल्कि उनका एकमात्र मकसद आंदोलन का फायदा उठाना है और आंदोलनकारी किसानों को गुमराह करना है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अगले आदेश तक तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी पर और इन कानूनों पर वार्ता करने के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया।

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