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यूनिसेफ की रिपोर्ट: कोरोना का ‘निगेटिव’ इफेक्ट, देशभर में 70 लाख बच्चे नहीं जा पाएंगे स्कूल

भारत सहित दक्षिण एशिया के छह देशों पर आधारित अध्ययन में खुलासा, महामारी के दौरान 15 लाख स्कूल रहे बंद05 साल से कम आयु के बच्चों की मौत की आशंका सबसे ज्यादा।10 अरब डॉलर कोरोना स्वास्थ्य व जांच पर खर्च कर सकता भारत।1.20 करोड़ कोरोना के नए मामले द. एशियाई छह देशों में आए।1.09 करोड़ कोरोना के नए संक्रमितों के मामले सिर्फ भारत के हैं।

Mar 20, 2021 / 03:25 pm

विकास गुप्ता

यूनिसेफ की रिपोर्ट: कोरोना का ‘निगेटिव’ इफेक्ट, देशभर में 70 लाख बच्चे नहीं जा पाएंगे स्कूल

नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने सबको प्रभावित किया है। बच्चों की पढ़ाई और सेहत पर असर पड़ा है। विश्व में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के करीब 90 लाख बच्चे पढ़ाई से दूर हो जाएंगे। इसमें 70 लाख बच्चे भारत के होंगे। ग्रामीण क्षेत्र व गरीब वर्ग के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सके थे। यह खुलासा यूनिसेफ की डायरेक्ट एंड इनडायरेक्ट इफेक्ट ऑफ कोविड पैनडेमिक एंड रेस्पांस इन साउथ एशिया रिपोर्ट में हुआ है।

16.8 लाख बच्चे एक भी दिन नहीं गए स्कूल-
रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 15 लाख स्कूल बंद रहने के कारण प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों के 24.7 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए। इसमें से 16.8 लाख बच्चे एक साल एक भी दिन स्कूल नहीं जा सके। लॉकडाउन से पहले भी देश में 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे।

सितंबर 2021 तक सबसे अधिक मौतें-
देश में अक्टूबर 2020 और सितंबर 2021 के बीच सबसे अधिक मौतें होने की आशंका है। अस्पताल व आइसीयू में सबसे अधिक बच्चे भर्ती होने का अनुमान है। 5 साल से कम आयु के बच्चों की मौतें सबसे अधिक भारत में 15 फीसदी होगी। दूसरे स्थान पर पाकिस्तान होगा, जहां 14 फीसदी मौतों का अनुमान है। दोनों देशों में बच्चों के जन्म लेने का आंकड़ा भी बढ़ सकता है।

सेहत पर बड़ा हिस्सा खर्च –
देश में 2020 में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर बढऩे की आशंका है। सितंबर 2021 तक कोविड-19 की जांच और स्वास्थ्य देखभाल पर 10 अरब डॉलर के करीब खर्च कर सकता है जो इस क्षेत्र में खर्च होने वाली रकम का सबसे बड़ा हिस्सा है।

सेहत-शिक्षा पर असर का आकलन… अफगानिस्तान, नेपाल बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान व श्रीलंका पर केंद्रित रिपोर्ट में महामारी से स्वास्थ्य, नौकरियों और शिक्षा पर असर का आकलन किया है।

10 फीसदी ज्यादा बच्चों का जन्म।
35 लाख अनपेक्षित गर्भधारण के मामले दक्षिण एशियाई देशों में ।
30 लाख गर्भधारण के मामले सिर्फ भारत के हैं।
10 फीसदी ज्यादा बच्चों के जन्म दर बढऩे की संभावना है।
2021 की दूसरी-तीसरी तिमाही में मातृ-शिशु दर में कमी की उम्मीद।

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