सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करने से होते हैं हादसे
रेलवे में बढ़ते हादसों का कारण सुरक्षा मानकों की कमी नहीं है बल्कि सुरक्षा मानकों का पालन न किया जाना है। रेलवे के सुरक्षा विभाग में जितने पद स्वीकृत हैं, उनमें से कई खाली हैं। रेलवे के सुरक्षा विभाग में अप्रेल 2015 में 7,37,273 पद स्वीकृत थे। इनमें से 1,24,201 पद खाली थे। उसी तरह अप्रेल 2016 में 7,46,676 पद स्वीकृत थे। इनमें से 1,22,763 पद खाली थे। अप्रेल 2017 में 1,24,201 पद खाली थे।
रेलवे में बढ़ते हादसों का कारण सुरक्षा मानकों की कमी नहीं है बल्कि सुरक्षा मानकों का पालन न किया जाना है। रेलवे के सुरक्षा विभाग में जितने पद स्वीकृत हैं, उनमें से कई खाली हैं। रेलवे के सुरक्षा विभाग में अप्रेल 2015 में 7,37,273 पद स्वीकृत थे। इनमें से 1,24,201 पद खाली थे। उसी तरह अप्रेल 2016 में 7,46,676 पद स्वीकृत थे। इनमें से 1,22,763 पद खाली थे। अप्रेल 2017 में 1,24,201 पद खाली थे।
तीन साल में ये हैं हादसों के आंकड़े
संसद में पूछे गए सवालों के जवाब में रेल हादसों के आंकड़े स्पष्ट हैं। 2013-14 में 60 रेल हादसे हुए। 2014-2015 में इनकी संख्या 120 हो गई। फिर 2015-2016 में हादसों की संख्या गिरकर 50 हो गई। 2016-2017 में रेल हादसों की संख्या फिर बढ़कर 100 से अधिक हो गई।
संसद में पूछे गए सवालों के जवाब में रेल हादसों के आंकड़े स्पष्ट हैं। 2013-14 में 60 रेल हादसे हुए। 2014-2015 में इनकी संख्या 120 हो गई। फिर 2015-2016 में हादसों की संख्या गिरकर 50 हो गई। 2016-2017 में रेल हादसों की संख्या फिर बढ़कर 100 से अधिक हो गई।
प्रभु के कार्यकाल में 700 लोग गंवा चुके हैं रेल हादसों में अपनी जान
रेल मंत्री सुरेश प्रभु के 3 साल के कार्यकाल में अब करीब 700 लोग रेल हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं। ये आंकड़ा साल 2014-15 से अब तक का है। इस दौरान 346 छोटे बड़े रेल हादसे हुए हैं। रेल सुरक्षा पर बड़े बड़े दावों के बाद भी मुसाफिरों की जान भारतीय रेल में सुरक्षित नहीं है। इससे पहले लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते साल 2004-05 से 2006-07 तक 663 रेल हादसे हुए थे जिनमें 759 लोगों की मौत हुई थी। मुजफ्फरनगर में हुए रेल हादसे को एक सप्ताह भी पूरा नहीं हुआ है और औरैया में आजमगढ़ से दिल्ली आने वाली कैफियात एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार हो गई। डंपर से टकराकर ट्रेन की सात बोगियां डिरेल हो गई इस हादसे में कई यात्री घायल हुए हैं।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु के 3 साल के कार्यकाल में अब करीब 700 लोग रेल हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं। ये आंकड़ा साल 2014-15 से अब तक का है। इस दौरान 346 छोटे बड़े रेल हादसे हुए हैं। रेल सुरक्षा पर बड़े बड़े दावों के बाद भी मुसाफिरों की जान भारतीय रेल में सुरक्षित नहीं है। इससे पहले लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते साल 2004-05 से 2006-07 तक 663 रेल हादसे हुए थे जिनमें 759 लोगों की मौत हुई थी। मुजफ्फरनगर में हुए रेल हादसे को एक सप्ताह भी पूरा नहीं हुआ है और औरैया में आजमगढ़ से दिल्ली आने वाली कैफियात एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार हो गई। डंपर से टकराकर ट्रेन की सात बोगियां डिरेल हो गई इस हादसे में कई यात्री घायल हुए हैं।