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दो साल में बंद होंगे प्रदूषण फैलाने वाले 60-70 पावर प्लांट: जावडेकर

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया जनसंवाद।
प्रदूषण के खात्मे के लिए मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर दी जानकारी।
घोषणा की कि दो साल में प्रदूषण फैलाने वाले देश भर के 60-70 बिजली संयत्र ( power plants ) होंगे बंद।

60-70 power plants to be shut down in 2 years due to pollution: Prakash Javadekar

60-70 power plants to be shut down in 2 years due to pollution: Prakash Javadekar

नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने रविवार को जनसंवाद किया। प्रदूषण के खिलाफ चल रही जंग में आम जनता को सीधे जोड़ने की पहल करते हुए उन्होंने फेसबुक लाइव के दौरान जनता से सुझाव भी मांगे और कई सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने प्रदूषण के खात्मे के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि अगले दो वर्षों में देश में प्रदूषण फैलाने वाले 60 से 70 बिजली संयंत्रों ( power plants ) को चिह्नित कर बंद कर दिया जाएगा। जबकि दिल्ली-एनसीआर स्थित बदरपुर और सोनीपत के पावर प्लांट पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
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केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि देश में प्रदूषण के पांच-छह प्रमुख कारण हैं। इनमें यातायात, उद्योग, कूड़ा-कचरा, धूल, पराली और भूगोल शामिल हैं। मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए जावड़ेकर ने कहा कि 62 हजार करोड़ रुपये की लागत से BS VI ईंधन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। भारत स्टेज 6 (BS VI) ईंधन के इस्तेमाल से प्रदूषण में 25 से 60 फीसदी तक की कमी आई है।
इस दौरान जावड़ेकर ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाओं के जरिये राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निजात के प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जहां वर्ष 2014 में दिल्ली-एनसीआर में 25 से 30 लाख लोग मेट्रो ट्रेन से सफर करते थे, आज यह संख्या बढ़कर 45 से 50 लाख हो चुकी है। यह काफी बड़ी उपलब्धि है क्योंकि मेट्रो चलने से करीब चार लाख वाहनों को सड़क पर आने से रोका गया।
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उन्होंने आगे कहा कि ईस्टर्न-वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे शुरू होने बिना जरूरत के दिल्ली से गुजरते हुए प्रदूषण फैलाने वाले 60 हजार वाहनों की भी समस्या खत्म हो गई है। अब सभी शहरों में मेट्रो और ई-बसों की सुविधा को बढ़ाया जा रहा है।
जावड़ेकर ने बताया कि समस्या तो पहले से थी, लेकिन मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में पहली बार नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स पेश किया। वर्ष 2016 से हवा की गुणवत्ता जांचना और आंकड़े जुटाना शुरू किया गया। 2016 में जहां एक वर्ष में खराब हवा के 250 दिन होते थे, आज यह घटकर 180 रह गए हैं। इसका मतलब है कि अच्छी हवा के 70 दिन में बढ़ोतरी हुई है। अब छह महीने प्रदूषण बना रहता है, जिसमें 40 दिन पराली जलाने के शामिल होते हैं, जबकि छह महीने प्रदूषण नहीं रहता है।
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केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की असल वजह यहां की भूगोल की समस्या भी है। दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हवा न चलने पर ज्यादा रहती है और तेज हवा चलने पर प्रदूषण उड़ जाता है।
जावडेकर ने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2016 में दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन मैनेजमेंट के नए नियम भी बनाए। जहां तक उद्योगों की बात है तो हमने दिल्ली नहीं बल्कि पूरे देश में प्रदूषणकारी बिजली संयंत्र फेजआउट कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इसके चलते अगले दो वर्षों के भीतर 60 से 70 पावर प्लांट बंद हो जाएंगे। यह पहला इतना व्यापक कार्यक्रम है और दिल्ली-एनसीआर स्थित बदरपुर और सोनीपत के प्लांट बंद भी हो चुके हैं।
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