विश्वविद्यालय में व्यावहारिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग से राजेश सिंह के सहयोग से रणजय अधिकारी द्वारा लिखा गया शोधपत्र दर्शाता है कि भारत सरकार ने जो 21 दिन का लॉकडाउन लगाया है, उसके प्रभावी होने की संभावना नहीं है और ‘इसके अंत में कोविड-19 का फिर से उभार होगा।’
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देश में कोविड-19 महामारी पर सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के प्रभाव के आकलन का शायद यह पहला मॉडल है, जिसमें भारतीय आबादी की उम्र और सामाजिक संपर्क संरचना को शामिल किया गया है।
शोधपत्र का शीर्षक है ‘एज स्ट्रक्चर्डइम्पैक्ट ऑफ सोसल डिस्टेंसिंग ऑन द कोविड-19 एपिडेमिक इन इंडिया’।
अध्ययन में सोशल डिस्टेंसिंग उपायों- कार्यस्थल में गैर मौजूदगी, स्कूल बंद करने, लॉकडाउन और इसकी अवधि के साथ उनकी प्रभावाकारिता का आकलन किया गया है।
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शोधकर्ताओं ने भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ने का अध्ययन करने के लिए सर्वेक्षणों और बेजन इम्प्यूटेशन से प्राप्त सामाजिक संपर्क मैट्रिसेज के साथ एक आयु-संरचित एसआईआर मॉडल का प्रयोग किया।
लेखकों ने लिखा, “सामाजिक संपर्क की संरचनाएं गंभीर रूप से संक्रमण के प्रसार को निर्धारित करती हैं और टीकों के अभाव में, बड़े पैमाने पर सामाजिक दूरी के उपायों के माध्यम से इन संरचनाओं का नियंत्रण शमन का सबसे प्रभावी साधन प्रतीत होता है।”
भारत में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए 24 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया गया है।
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