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चीन को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका, गलवान घाटी हिंसा के बाद 43 फीसदी लोगों ने नहीं खरीदा चाइनीज सामान

एक सर्वे के मुताबिक ऐसे 43 पर्सेंट भारतीय हैं, जिन्होंने पिछले 12 महीनों में चीन में बना कोई भी उत्पाद नहीं खरीदा है। सर्वे में देश के 281 जिलों के 18,000 लोगों को हिस्सा लिया।

Jun 15, 2021 / 12:55 pm

Shaitan Prajapat

chinese items

नई दिल्ली। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प को एक साल पूरा हो गया है। इस घटना में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। भारतीय सेना के जांबाजों ने मुंबतोड़ जवाब दिया जिसमें कई चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी। गलवान घाटी की इस हिंसा का असर दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य पर पड़ा। पिछले एक साल के दौरान आर्थिक मोर्चे पर लोगों ने चीनी सामान को नहीं खरीदने का फैसला किया। एक सर्वे के अनुसार, बीते एक साल 43 प्रतिशत भारतीयों ने चीन में बना कोई भी उत्पाद नहीं खरीदा है।

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43 प्रतिशत लोगों ने नहीं खरीदा चीनी सामान
गलवान घाटी के इस संघर्ष के बाद भारतीय लोगों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। एक सर्वे के अनुसार, भारतीय लोग चीनी सामान खरीदने में कम दिलचस्पी ले रहे है। 43 फीसदी लोगों ने बीते एक साल में चीन में बना कोई सामान नहीं खरीदा। वहीं जिन लोगों ने सामान खरीदा भी उनका कहा है कि उन्होंने प्रॉडक्ट के मुकाबले उसकी कीमत को देखते हुए यानी किफायत की वजह से सामान खरीदा। उनका कहना है कि ऐसा उन्होंने एक से दो बार ही किया है।

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60 प्रतिशत लोगों ने सिर्फ एक से दो सामान ही खरीदा
सर्वे में देश के 281 जिलों के 18,000 लोगों को हिस्सा लिया। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने चीनी सामान की खरीद के पीछे कम दाम और पैसे की बचत को वजह बताया। सर्वे में बताया गया है कि जिन लोगों ने पिछले एक साल में मेड इन इंडिया का सामान खरीदा है उसमें से 60 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सिर्फ 1-2 सामान ही खरीदा। 14 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्होंने 3-5 प्रोडक्ट्स, 7 फीसदी ने कहा कि 5-10 प्रोडक्ट्स और 2 फीसदी ने 10-15 प्रोडक्ट्स खऱीदे।

टिकटॉक, अली एक्सप्रेस सहित कई ऐप्स पर बैन
पिछले कई सालों से चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं वह पाकिस्तान के जरिए भी भारत के लिए कई प्रकार की परेशानियां खड़ी कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से चीन के 100 से ज्यादा ऐप्स पर बैन और स्वदेशी सामानों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की नीति के बीच यह सर्वे आया है। बीते साल चीन की ओर से सीमा पर खूनी झड़प किए जाने के बाद भारत सरकार ने टिकटॉक, अली एक्सप्रेस समेत कई ऐप्स को बैन कर दिया था।

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