दरअसल भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ( GSI ) के पूर्वोत्तर स्थित जीवाश्म विज्ञान रीजन के अनुसंधानकर्ताओं ने स्थल के अपने हालिया दौरे के बाद यह निष्कर्ष निकाला। हालांकि अनुसंधानकर्ताओं के इस नतीजे को अभी प्रकाशित नहीं किया गया है।
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जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में इस बात पर जोर दिया है कि यह पहली बार है, जब क्षेत्र में संभवत: टाइटैनोसॉरियाई मूल के सॉयरोपॉड के अवशेष मिले हैं।
जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में इस बात पर जोर दिया है कि यह पहली बार है, जब क्षेत्र में संभवत: टाइटैनोसॉरियाई मूल के सॉयरोपॉड के अवशेष मिले हैं।
देश का पांचवा और पूर्वोत्तर का पहला राज्य
जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो मेघालय देश का पांचवा ऐसा राज्य बन गया है जहां से डायनासोर को लेकर अवशेष मिले हैं। इससे पहले गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से डायनासोर को लेकर अवशेष और कई तरह की जानकारियां मिल चुकी हैं। खास बात यह है कि पूर्वोत्तर में मेघालय डायनासोर के अवशेष मिलने वाला पहला राज्य है, जहां टाइटैनोसॉरियन मूल के सॉरोपोड की हड्डियां मिली हैं।
जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो मेघालय देश का पांचवा ऐसा राज्य बन गया है जहां से डायनासोर को लेकर अवशेष मिले हैं। इससे पहले गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से डायनासोर को लेकर अवशेष और कई तरह की जानकारियां मिल चुकी हैं। खास बात यह है कि पूर्वोत्तर में मेघालय डायनासोर के अवशेष मिलने वाला पहला राज्य है, जहां टाइटैनोसॉरियन मूल के सॉरोपोड की हड्डियां मिली हैं।
ऐसे होते हैं टाइटैनोसॉरियन मूल के सॉरोपोड डायनासोर
टाइटैनोसॉरियन मूल के सॉरोपोड डायनासोर की बात की जाए तो जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक सॉरोपॉड की लंबी गर्दन, लंबी पूंछ, शरीर के बाकी हिस्से की तुलना में छोटा सिर, चार मोटी एवं खंभे जैसी टांग होती हैं।
टाइटैनोसॉरियन मूल के सॉरोपोड डायनासोर की बात की जाए तो जीएसआई अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक सॉरोपॉड की लंबी गर्दन, लंबी पूंछ, शरीर के बाकी हिस्से की तुलना में छोटा सिर, चार मोटी एवं खंभे जैसी टांग होती हैं।
यह भी पढ़ेँः कोरोना के बढ़ते संकट के बीच अब गोवा जाने के लिए करना होगा इतने दिन तक इंतजार, सावंत सरकार ने उठाया बड़ा कदम जीएसआई में जीवाश्म विज्ञान प्रभाग के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक अरिंदम राय ने कहा कि मेघालय में जीएसआई को 2001 में भी डायनासोर की हड्डियां मिली थीं, लेकिन उनकी स्थिति इतनी खराब थी कि उनकी वर्गीकरण संबंधी पहचान संभव नहीं थी।
उन्होंने बताया कि इस बार जिन हड्डियों की पहचान की गई है, वे 2019-2020 और 2020-21 में मिली थीं, जो अनुमानत: करीब 10 करोड़ साल पुरानी हैं। 42 अरब डायनासोर ने किया पृथ्वी पर राज
आपको बता दें कि हाल में एक अध्ययन में ये बात सामने आई थी कि करीब 42 अरब डायनासोर ने पृथ्वी पर राज किया। वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक लगभग 6.6 करोड़ साल पहले एक शहर के आकार जितना बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराया। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि इसके चलते डायनासोर के साथ-साथ पृथ्वी पर से 75 फीसदी जीवन विलुप्त हो गया।
आपको बता दें कि हाल में एक अध्ययन में ये बात सामने आई थी कि करीब 42 अरब डायनासोर ने पृथ्वी पर राज किया। वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक लगभग 6.6 करोड़ साल पहले एक शहर के आकार जितना बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराया। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि इसके चलते डायनासोर के साथ-साथ पृथ्वी पर से 75 फीसदी जीवन विलुप्त हो गया।