झरने के पानी पर निर्भर थे गांव वाले
अब तक इस गांव के 1200 लोग पानी के लिए पास के झरने पर निर्भर थे, जो गर्मियों में सूख जाता था। ऐसे में गांव में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकर ही एकमात्र साधन थे। इसके लिए गांव वालों को पैसा देना पड़ता था। लहुरिया दाह गांव के निवासी कौशलेंद्र गुप्ता ने कहा, “हम पूरे साल भर का बजट पानी पर खर्च कर रहे थे। लहुरिया दाह तक पानी की पाइप लाइन लाने का काम कितना कठिन था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उचित योजना के अभाव में करीब एक दशक पहले बीच में ही काम रोक दिया गया था। जल जीवन मिशन में भी गांव को शामिल नहीं किया गया।” यह भी पढ़ें
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कंटेनर से लाते थे पानी
गांव के ही एक अन्य निवासी जीवन लाल यादव ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि दूध बेचने के लिए वे मैदानी इलाकों में जाते थे और कंटेनर में पानी लेकर वापस आते थे। उन्होंने कहा कि 25-30 सालों से गांव में टैंकरों से पानी की आपूर्ति होती थी और उनका पूरा बजट इसी पर खर्च हो जाता था। इस दौरान अक्सर लोगों के बीच झगड़े होते थे और तनाव पैदा होता था।मिर्जापुर DM के पहल से सपना हुआ साकार
कौशलेंद्र गुप्ता ने कहा कि 4.87 करोड़ रुपये से अधिक की पिछली परियोजना के नतीजे नहीं आने और गांव तक पानी की आपूर्ति नहीं होने के बाद, हमने जिलाधिकारी से मुलाकात की और उन्होंने समस्या पर ध्यान दिया। उन्होंने नए प्रयास शुरू किए और 10 करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजना को मंजूरी दी गई। यह भी पढ़ें