मिर्जापुर

‘देखन को छोटन लगे घाव करे गंभीर’, छोटे दलों के बड़े सपने, क्या‍ होंगे पूरे?

लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तर प्रदेश के छोटे दल बड़े सपने देख रहे हैं। इस चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा व सपा आमने सामने हैं। दोनों दलों ने अपने-अपने नेतृत्व में सहयोगी तलाशे हैं। छोटे दल भी इनके साथ गठबंधन कर बड़ी जीत का सपना संजोय हुए हैं। हालांकि यह कितना सफल होगा, यह आने वाला परिणाम बताएगा।

मिर्जापुरMar 18, 2024 / 02:19 pm

Vikash Singh

Lok sabha elections 2024

एनडीए में अनुप्रिया पटेल का अपना दल (एस) और मंत्री संजय निषाद की निषाद पार्टी पहले की तरह शामिल हैं। अब रालोद भी शामिल हो गया है। सपा के साथ सत्ता के खिलाफ मुखर आवाज ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा को भी भाजपा ने अपने पाले में ले लिया है। लोकसभा चुनाव में रालोद को दो सीटें मिली हैं जिसमें बागपत और बिजनौर शामिल हैं। वहीं राजभर ने घोसी से अपने बेटे को उम्मीदवार बनाया है। जबकि निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद के बेटे को भाजपा के सिंबल पर संतकबीरनगर उतारा गया है।अपना दल की सीटें जल्द घोषित होने की संभावना है।
आम आदमी पार्टी इस चुनाव में भाग न लेकर गठबंधन का सहयोग करेगी
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि विपक्ष की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन में सपा, कांग्रेस, अपना दल (कमेरावादी) शामिल हैं। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में भाग न लेकर गठबंधन का सहयोग करेगी। हालांकि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी को इंडिया गठबंधन में अभी तक कोई सीट नहीं मिली है। उनके आने की संभावना अब बहुत कम है। बसपा को जोड़ने का प्रयास फिलहाल सफल होता नजर नहीं आ रहा है।
अपना दल (कमेरावादी) सपा के साथ है। बसपा मुखिया मायावती लगातार अकेले चुनाव लड़ने की बात दोहरा रही हैं। अभी तक इंडिया गठबंधन के तहत सपा को 63 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली है, जिनमें तकरीबन 40 सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। एक सीट सपा ने अपने कोटे से टीएमसी को दी है। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
भाजपा के साथ अपना दल का प्रभाव काफी बढ़ गया है
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि छोटे दलों की भूमिका और पकड़ अपने क्षेत्र और जातियों के बीच काफी महत्वपूर्ण होती है। छोटे दलों के लिए बड़ों का सहारा राजनीति में काफी फायदेमंद है। भाजपा के साथ अपना दल का प्रभाव काफी बढ़ गया है। वह राज्य स्तर की पार्टी बन गई है। इसके अलावा दो लोकसभा सीटों पर भी वह काबिज है, जबकि पार्टी के संस्थापक सोनेलाल पटेल कभी चुनाव नहीं जीते।
उन्होंने बताया कि लोकसभा में पार्टियां कभी कभी लाखों में वोट पाने के बावजूद भी चुनाव हार जाती हैं। उस दौरान यह दल काफी अहम भूमिका अदा करते हैं। सिर्फ अपने जातियों की राजनीति करने वाले छोटे दल चुनाव जीतने वाला आधार तो पैदा नहीं कर पाते। पर यह कई लोकसभा सीटों पर आबादी के हिसाब से वोट का आधार बनाने में सक्षम होती हैं।
कांग्रेस सबको जोड़ने में विश्वास रखती है: कांग्रेस प्रवक्ता
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक प्रसून का मनाना है कि जैसा कि 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि छोटे दल जिस बड़े दल के साथ जुड़ जाते हैं, उनका समर्थक वोटर उनके साथ चला जाता है। बड़े दलों की कुछ वोटों से हारने की स्थिति वाली सीटें पक्की हो जाती हैं। बदले में छोटे दल अपने बड़े आधार वाले क्षेत्रों में बड़ी पार्टियों से कुछ सीटें मांगकर अपना आधार बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इसीलिए भाजपा व सपा ने अपने से कम वोट शेयर वाले दलों से गठबंधन किया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो नारा दिया है — ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ इसे लेकर पार्टी धरातल पर काम कर रही है। चाहे नीति बनाना हो, या नेतृत्व देना हो, सब में हमारी पार्टी यह ख्याल रखती है। इसी कारण गठबंधन में हमारे साथ ऐसे साथी जुड़ रहे हैं जिन्हें गरीबों के विकास के लिए कुछ करना है। अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को आगे लाने में हमारा साथ देना है, जो पीएम के विकास के नारे को पूर्ण करने में विश्वास रखते हैं।
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि कांग्रेस सबको जोड़ने में विश्वास रखती है। इसी कारण हमारे नेता राहुल गांधी ने पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाल कर संदेश दिया। इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल इसी एकता का हिस्सा हैं। जितने भी दल शामिल हैं, वो देश और संविधान बचाने के लिए इंडिया गठबंधन के साथ है। निश्चित तौर पर भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण हम सब एक जुट हुए हैं और इन्हें सत्ता से बाहर करेंगे।

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