मिर्जापुर जिले की लालगंज तहसील के हलिया ब्लॉक में प्राचीन काल से गड़बड़ा शीतला माता का मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां लगभग तीन सौ साल पहले टेढ़ी नीम के खोखले से मां शीतला प्रकट हुई थीं। इसके बाद स्थानीय लोगों ने यहां मां शीतला का मंदिर बनवाया। ये मंदिर मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत की तलहटी में सेवटी नदी किनारे स्थित है। यहां सोमवार से 15 दिवसीय मेला शुरू हो गया है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचकर माता का दर्शन-पूजन कर रहे हैं।
शीतला धाम के पुजारी दिनेश त्रिपाठी का कहना है कि यहां दूर-दूर से आकर श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ मां का दर्शन-पूजन करते हैं। उनका दावा है कि गड़बड़ा धाम में दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को गंवई मेला था। अगले सोमवार को शहरी यानी बड़ा मेला होगा। जबकि तीसरे और आखिरी सोमवार यानी 1 जनवरी को फिर गंवई मेले से इसका समापन हो जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां श्रद्धालुओं की इच्छा पूरी होने पर बच्चों का मुंडन संस्कार कराने की परंपरा है। इसके साथ ही मनौती मानने वाले रोट और लपसी का भोग लगाते हैं।
पुजारी दिनेश त्रिपाठी का कहना है कि यहां मां के दर्शन से निःसंतान दंपति को पुत्र प्राप्ति होती है। माता के दरबार में ऐसे कई दंपति आते हैं। जो अपनी मांगी मनौती के पूरी होने का दावा करते हैं और माता को धन्यवाद देते हैं। पुजारी दिनेश त्रिपाठी आगे बताते हैं कि जिनकी आंखों की रोशनी चली गई हो, वह श्रद्धा भाव से मां के दर्शन-पूजन करें। इससे उनकी आंखों की रोशनी दोबारा लौट आएगी।
ऐसे कई श्रद्धालुओं की यहां मनौती पूरी हुई है। इसके अलावा चेचक जैसी बीमारी होने पर मंदिर के कुंड के जल से स्नान करने पर पीड़ित स्वस्थ हो जाता है। मान्यता ये भी है कि यहां माता के दर्शन करने के बाद प्रेतात्मा शरीर छोड़ देती है। यहां हर दिन प्रेत बाधा से मुक्ति तथा रोगों के निवारण के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।