यह भी पढ़ेंः VIDEO: ब्लूचिस्तान के निकले दोनों ठग, पुलिस की वर्दी में फर्रुखाबाद से मेरठ बाइक से आते थे लूट करने अलका तोमर ने बताया कि 1998 में नेशनल चैंपयनिशप के लिए मेरठ में कैंप लगा था। पापा नैन सिंह मुझे लेकर स्कूल से सीधे कैंप में पहुंचे थे। यहां कोच जबर सिंह सोम ने मुझे सलेक्ट किया और मैं जब गांव से यहां सीखने आती थी तो गांव के लोगों का नजिरया अच्छा नहीं होता था, क्योंकि यूपी में उस समय महिला कुश्ती नहीं थी। गांव वाले ही नहीं, दादी और मां ने भी मुझे कुश्ती सीखने से मना किया था। आसपास के लोगों का बहुत ही गंदा रिएक्शन था। वे कहते थे कि लड़कियां छोटे-छोटे कपड़े पहनकर कुश्ती नहीं कर सकती। अलका ने बताया कि मैं कुश्ती में मेहनत करती गई, मैंने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे चीजें बदलती र्गइं और जब मैं मेडल लाने लगी तो वे ही लोग मेरी तारीफ करने लगे।
यह भी पढ़ेंः गणतंत्र दिवस से पहले निकाला गया फ्लैग मार्च, वाहनों की चेकिंग में जुटी पुलिस, देखें वीडियो यूपी में जब महिला कुश्ती को लेकर यह नजरिया रहा हो तो ऐसे में अलका तोमर का एक के बाद एक मेडल जीतना मायने रखता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलका ने लगातार मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। 2006 में चीन में विश्व कुश्ती चैंपियनिशप में अलका ने वह कर दिखाया, जिसे कोई सोच भी नहीं सकता था। विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के इतिहास में भारत की ओर से 1961 में उदय चंद और 1967 में विशंभर सिंह ने मेडल जीता था। इनके बाद अलका ने 2006 में मेडल जीता और पहली महिला पहलवान बनी। अलका ने अपने प्रदर्शन से महिला कुश्ती को लेकर हर मिथक को तोड़ा था। नेशनल चैंपियनशिप, नेशनल गेम्स, एशियन गेम्स, काॅमनवेल्थ गेम्स, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप समेत तमाम कुश्ती प्रतियोगिताओं में अलका ने भरपूर मेडल जीते और इनके बूते ही उन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।
यह भी पढ़ेंः Weather Alert: कोहरे से मिली राहत, अब इन दो दिनों में बारिश के साथ बढ़ेगी ठंड इस समय यूपी ही नहीं देश भर में महिला कुश्ती में काफी संख्या में पहलवान सामने आ रही हैं। पूर्व अंतर्राष्ट्रीय पहलवान अलका तोमर ने युवतियों और महिलाओं के लिए कहना है कि आप इंडिपेंडेंट बनिए, स्वयं की रक्षा कीजिए और जी-जान से पूरे सम्मान के साथ मेहनत करिए और अपना टारगेट सेट कर लीजिए, आपको सफलता जरूर मिलेगी।