यह भी पढ़ेंः यूपी के इस शहर में काट दिए गए सैकड़ों आम के पेड़, मुख्यमंत्री से शिकायत पर ये हुआ, देखें वीडियो बायोमास जैसे-लकड़ी, पशुओं का गोबर, फसल के अवशेष, धूम्रपान करने जितना ही जोखिम पैदा करते हैं। इसीलिए महिलाओं में सीओपीडी की करीब तीन गुना बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं और लड़कियां रसोईघर में अधिक समय बिताती हैं। उन्होंने कहा कि आज देश खतरनाक गैस का चेंबर बन गया है। इसके कारण भी सीओपीडी बीमारी फैली है।
यह भी पढ़ेंः Air Pollution: हवाओं की चाल कम होने से फिर बढ़ने जा रहा है वायु प्रदूषण बायोमास के अलावा, वायु प्रदूषण की मौजूदा स्थिति ने भी शहरी इलाकों में सीओपीडी को चिंता का सबब बना दिया है। वायु प्रदूषण की दृष्टि से दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित 20 शहरों में से 10 भारत में हैं। सीओपीडी को बढ़ाने के कुछ और कारण भी हैं। जिनमें एग्रीकल्चरल पेस्टीसाइड्स और मच्छरों को भगाने वाला मॉस्क्वीटो कॉइल है। डा. तोमर ने कहा कि जानकर हैरानी होगी कि एक मॉस्क्वीटो कॉइल में 100 सिगरेट जितना धुंआ (पीएम 2.5) निकलता है और 50 सिगरेट जितना फॉर्मेल्डिहाइड निकलता हैं। उन्होंने बताया कि आज जरूरत है धूम्रपान को छोड़ने की। इसी के कारण सीओपीडी घातक और जानलेवा के रूप में तब्दील हो जाता है।