मेरठ

फंसे श्रमिकों को घर भेजने के लिए खुद डीएम ने संभाली कमान, इस तरह बनाई गई व्यवस्था

Highlights

थर्मल स्क्रीनिग के बाद रोडवेज बसों से भेजे जा रहे श्रमिक
मेरठ से रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रमिक हो रहे रवाना
पूरी व्यवस्था के लिए डीएम कर रहे हैं इसकी मॉनिटरिंग

 

मेरठMay 10, 2020 / 03:19 pm

sanjay sharma

मेरठ। लॉकडाउन की अवधि बढऩे के साथ ही घर-परिवार से दूर फंसे श्रमिकों के सब्र का बांध टूट रहा है तथा श्रमिक अपने घर जाने के लिए बेचैन हो रहे हैं। मेरठ में फैक्ट्रियों में काम करने वाले पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार समेत विभिन्न राज्यों के सैकड़ों श्रमिक यहां फंसे हुए हैं तथा अब वे घर लौटने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने इस लोगों को घरों में भेजने की व्यवस्था की है। डीएम कार्यालय के अलावा थानों में इन लोगों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। उसके बाद इन लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही श्रमिकों को बस में बैठने की स्वीकृति दी जा रही है। डीएम अनिल ढींगरा खुद ही पूरी व्यवस्था को देख रहे हैं। इससे श्रमिक मुस्कराहट के साथ अपने घर लौट रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रमिकों को उनके घर भेजा जा रहा है। ये लोग वे हैं जो यहां पर शेल्टर होम में या फिर और कहीं रह रहे थे। इनका रजिस्ट्रेशन कर पूरी स्वास्थ्य जांच के बाद ही इनको बस में बैठने दिया जा रहा है। यूपी के अन्य जिलों में श्रमिकों को भेजा जा रहा है। घर वापसी के लिए कई श्रमिकों ने अपना पंजीयन कराने के बाद ही उन्हें प्रशासन की ओर से घर भेजने की व्यवस्था की जा रही है। बता दें कि यहां पर कई श्रमिकों को तो दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल रही है। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद खाना और पानी की बोतल के साथ बसों में बिठाकर श्रमिकों को भेजा जा रहा है।
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