उन्होंने कहा कि सदियों से शिक्षक ऐसी भूमिका में रहा है कि वह मार्गदर्शक होने के साथ-साथ अच्छी बुरी बातों से आपको अवगत कराता हैं इसलिए वह सबसे अधिक सम्मान का भी हकदार हैं। उन्होंने आहवान किया कि विश्वविद्यालय का प्रत्येक शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन संयुक्त रूप से करते हुए विश्वविद्यालय को शिखर तक पहुंचाने का प्रयत्न करें।
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कार्यक्रम में प्रो॰ वाई विमला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम जिससे भी कुछ सीखते है वह भी शिक्षक होता है। शिक्षा का मतलब अपने दिमाग में सूचनाओं व जानकारियों को भरना नहीं है, बल्कि उनका सही उपयोग करना ही शिक्षा है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को व्यावहारिक बनाना है, जो शिक्षा व्यावहारिक नहीं हैए वह व्यर्थ हैण् कार्यक्रम की संयोजक प्रो॰बिंदु शर्मा ने सभी का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ वंदना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव धीरेंद्र कुमार, प्रो॰ योगेंद्र सिंह, प्रो॰ संजय भारद्वाज सहित विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे।