बता दें कि पिछले साल समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को कहा गया था कि वह टीईटी पास कर आगामी शिक्षक भर्ती में शामिल हो सकते हैं । यानी भर्ती में शामिल होने के लिए शिक्षामित्रों को टीईटी पास करनी होगी। अभी तक शिक्षामित्र टीईटी पास नहीं थे। बसपा शासन में पत्राचार के माध्यम से शिक्षामित्रों को बीटीसी कराई गई थी। उसी बीटीसी ट्रेनिंग को मान्यता दे दी गई थी। उसके बाद टीईटी अनिवार्य कर दी है। सपा सरकार में शिक्षामित्रों को बिना टीईटी पास किए हुए भी सहायक अध्यापक बना दिया गया था। इसके खिलाफ न्यायालय में याचिका डाली गई थी। याचिका पर ही न्यायालय ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। शिक्षामित्रों ने उसके बाद खूब आंदोलन किए, मगर सरकार कोई रास्ता नहीं निकाल सकी थी। हालांकि, शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये कर दिया गया था। उसके बाद सीएम योगी ने शिक्षामित्रों को भरोसा दिया था कि टीईटी पास करने पर उन्हें शिक्षक भर्ती में मौका मिलेगा। इसके बाद पिछली शिक्षक भर्ती में प्रदेश में छह हजार से अधिक शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद के लिए भर्ती हुए थे। अब चार नवंबर को फिर से टीईटी की परीक्षा होने जा रही है। इसके लिए शासन से लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी तैयारी में जुटा हुआ है। माध्यमिक शिक्षा विभाग भी तैयारियों में जुट गया है। टीईटी को लेकर इस बार सख्ती भी अधिक रहेगी। शिक्षामित्रों के सामने नौकरी की जद्दोजहद के लिए टीईटी की परीक्षा पास करने की कड़ी चुनौती है।