राह चलते आदमी के फोन से पुलिसवालों ने ही दी फर्जी सूचना
यूपी पुलिस 112 के मुख्यालय को जब किसी घटना की सूचना मिलती है तो सबसे पहले यह देखा जाता है कि उस स्थान के सबसे नजदीक कौन सी पीआरवी यानी पुलिस की गाड़ी है। फिर उसी पीआरवी को इंवेट दिया जाता है, यानी मौके पर जाने के लिए कहा जाता है। इन पुलिस वालों विभाग के इस सिस्टम को इस्तेमाल करने के लिए पूरा दिमाग लगाया। ये अपनी पीआरवी को पार्टी वाले स्थान के पास ले गए और फिर वहीं से एक आदमी का फोन मांगा। इस आदमी से पुलिस वालों ने कहा कि ‘हमारा फोन डाऊन हो गया है एक जरूरी कॉल करवा दीजिए’ इस पर उस आदमी ने अपना फोन पुलिसवालों को दे दिया। इन पुलिस वालों ने 112 पर कॉल करके फर्जी सूचना देते हुए कहा कि यहां एक पार्टी चल रही है जिसमें बवाल हो गया है, जल्दी पुलिस भेज दीजिए। इस पर मुख्यालय ने लोकेशन सर्च की तो सबसे नजदीक इन्ही पुलिसवालों की पीआरवी खड़ी थी। इस तरह इन्हे ये इवेंट मिल गया। पुलिस वालों का आइडिया काम कर गया और ये सभी पार्टी में पहुंच गए। पार्टी में जाकर इन्होंने अपने फोन से मुख्यालय को सूचना कर दी कि छोटा सा मामला था जो समझा-बुझाकर निपटा दिया है। यहां तक सब ठीक था लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने इन सभी पुलिसकर्मियों की पोल खोल दी।
मुख्यालय से फीडबैक के लिए आई कॉल तो खुला मामला ( UP Police)
इन पुलिसवालों की करतूत उस समय खुल गई जब इवेंट क्लोज होने के बाद यूपी 112 के मुख्यालय से उस नंबर पर कॉल की गई जिस नंबर से सूचना भेजी गई थी। मुख्यालय पर बैठे ऑपरेटर ने उस आदमी के नंबर कर कॉल करके पूछा कि आपने बवाल की जो सूचना दी थी वो खत्म हो गया ? ये भी पूछा कि आप यूपी 112 की कार्यवाही से संतुष्ट हैं? इस पर उस आदमी ने कहा कि मैने कोई सूचना नहीं दी थी। रास्ते में कुछ पुलिसवाले मिले थे और उन्होंने मुझसे एक कॉल करने के लिए फोन मांगा था। इस तरह ये मामला खुला तो मुख्यालय पर ऑपरेटर भी हैरान रह गया। तुरंत इसकी सूचना मेरठ एसएसपी डॉक्टर विपिन ताड़ा को दी गई। इस घोर लापरवाही पर सभी चार पुलिसकर्मियों के सस्पेंड कर दिया गया है। यह घटना अब पूरे महकमें में चर्चा का विषय बन गई है।