मेरठ

विश्वविद्यालय के इस आदेश ने कम कर दिया पीएचडी थीसिस का वजन

अब कागज के दोनों तरफ लिखी जाएगी पीएचडी की थीसिस

मेरठApr 15, 2018 / 06:45 pm

sanjay sharma

केपी त्रिपाठी, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिससे पीएचडी कर रहे छात्रों के लिए राहत भरी खबर होगी। वहीं दूसरी आेर पीएचडी की थीसिस का वजन भी इस आदेश से कम होगा। विश्वविद्यालय के दिए आदेश के मुताबिक अब पीएचडी की थीसिस कागज के दोनों तरफ लिखी जा सकेगी। विश्वविद्यालय ने इसके आदेश भी जारी कर दिया है। इससे पीएचडी कर रहे शोधार्थियों को थीसिस तैयार करने में काफी आसानी होगी। माना जा रहा है कि यह आदेश आनलाइन सिस्टम का हिस्सा है। विश्वविद्यालय का प्रयास है कि सभी चीजें आनलाइन हो जाए और पेपरवर्क जितना कम हो सके उतना अच्छा है। इस आदेश से पीएचडी की थीसिस में कम से कम कागज प्रयोग हो सकेगा। शोधार्थियों की पीएचडी थीसिस से भी कागज कम किए जा रहे हैं। अभी तक पीएचडी की थीसिस 150 से 350 पेज तक में तैयार होती थी। शोधार्थियों को दो साफ्ट कापी के अलावा चार प्रिंट कापी तैयार करानी होती है। अभी तक शोधार्थी जो पीएचडी की थीसिस तैयार कराते हैं, उसके पेज के एक ओर ही प्रिंट किया जाता है।
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यूजीसी के आदेश पर दिया फैसला

इससे अनावश्यक तौर पर अधिक पेज लगते हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से कागज बचाने के लिए पीएचडी थीसिस को दोनों ओर प्रिंट कराने के लिए आदेश दिया गया है। यूजीसी के निर्देश पर सीसीएसयू ने इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया है। यूजीसी के जारी शासनादेश से विवि प्रशासन ने शोधार्थी छात्रों को अवगत करा दिया है। शोधार्थी छात्रों ने इसे राहत भरी छूट माना है। शोधार्थी छात्रों का मानना है कि विवि के इस आदेश से पीएचडी की भारी-भरकम फाइलों से छूट मिलने के साथ ही खर्चें पर भी असर पडेगा। विवि की बाटनी विभाग की डा0 वाई विमला ने बताया कि पीएचडी में यह नया नियम लागू करने से छात्राें को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे पेपर की बचत तो होगी ही साथ ही विश्वविद्यालय का पेपरलेस अभियान की ओर उठाया जाने वाला भी कदम माना जा रहा है।
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