मेरठ। कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद भी थोड़ी सावधानी जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क पहनना नहीं छोड़ना चाहिए। इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण से भी खुद का बचाव जरूरी है। चिकित्सों की मानें तो वायु में पीएम-2.5 एवं पीएम-1 की खतरनाक मौजूदगी के कारण खून में गाढ़ापन बढ़ने से हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।
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होटल और मॉल को लेकर नई गाइडलाइन जारी, गाजियाबाद में 13 इलाके रेड जोन घेषित न्यूरोसर्जन डा. गिरीश त्यागी का कहना है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में खून के थक्के बनने की रिपोर्ट मिली है। हर वायरल संक्रमण रक्त को गाढ़ा करता है। जिससे मरीजों का ब्रेन एवं हार्ट स्ट्रोक भी हुआ। वहीं सांस रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर की मानें तो कोरोना वायरस शरीर में पहुंचकर खून का चिपचिपापन बढ़ाता है। यही कारण है कि कई कोरोना मरीजों की जान थ्रंबोसिस की वजह से बड़ी संख्या में गई। वायु प्रदूषण से बढ़ता है खून का गाढापन वायु प्रदूषण से ब्लडप्रेशर एवं खून में गाढ़ापन बढ़ने की प्रबल आशंका होती है। डा. तुंगवीर सिंह आर्य के अनुसार कोरोना वैक्सीन से भी कुछ दिनों तक खून में गाढ़ेपन का खतरा हो सकता है। ऐसे में खून पतला करने की दवाएं साथ रखनी चाहिए। खासकर, उन मरीजों में जिनका हीमोग्लोबिन 15 से ज्यादा है, या जिनके खून में थक्का बनने की प्रवृत्ति है।
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Corona को लेकर नए आदेश जारी, अब मास्क नहीं लगाने पर इन शहरों में होगी कार्रवाई हवा में पीएम 1 या 2.5 से रहे सावधान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ मंडल में वायु प्रदूषण लगातार ज्यादा बना हुआ है। इससे न सिर्फ सांस की नलियों में सिकुड़न आती है बल्कि खून गाढ़ा होने एवं हार्ट पर लोड बढ़ने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। पीएम 2.5 एवं पीएम-1 की मात्र हवा में ज्यादा मिलने से रक्त गाढ़ा होने का खतरा बढ़ा। वैक्सीन लेने वालों मास्क लगाकर पार्टीकुलेट मैटर से बचने की सलाह दी जा रही है। बता दें कि पीएम2.5 मनुष्य के बाल का 30 वां जबकि पीएम-1 बाल का 70 वां हिस्सा बारीक होता है। ये दोनों कण मानक से कई गुना हैं। जो फेफड़ों की मेंब्रेन को पार कर रक्त में गाढ़ापन बढ़ाते हैं। हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बनता है। मास्क से फेफड़ों तक साफ हवा पहुंचेगी। वायरस भी रुकेगा।