मेरठ में भारतीय सेना की काली पलटन थी। इस काली पलटन के सैनिक कबाड़ी बाजार नगरवधुओं (वेश्या) के पास जाया करते थे। मेरठ कालेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेन्द्र शर्मा ने बताया कि 7 मई 1857 को जब काली पलटन के सैनिक नगर वधुओं के पास पहुंचे। साथ ही उन्होंने अंग्रेजों के सामने नाचने और दिल बहलाने से मना कर दिया। नगर वधुओं ने कहा कि ‘लाओ अपने हथियार हमें दो। सिपाहियों को हम जेल से आजाद करा लेंगी। तुम चूड़ियां पहनकर बैठो।’ बताया जाता है कि नगर वधुओं का यह कटाक्ष उस दौरान काली पलटन के सैनिकों को इतना चुभा कि जेल में बंद अपने सैनिक को छुड़ा लेने की श्पथ ली।
बता दें कि भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम को इस वर्ष 163 साल पूरे हो रहे हैं। इतने साल गुजरने के बाद आजादी की उस पहली लड़ाई को न तो देश भूल पाया है और न इतिहास। मेरठ क्रांति के उद्गम स्थल पर क्रांति के पदचिह्न् तो अपनी अमिट पहचान के साथ ही हैं। नगर वधुओं का नाम भी क्रांति से जुड़ा हुआ है। काली पलटन सैनिकों में क्रांति चिंगारी भड़काने का श्रेय मेरठ में रहने वाली नगर वधुओं को भी जाता है।