मेरठ। ‘साहब मेरे स्वजन बीमार हैं, घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं है, इसलिए मैं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मतदान में ड्यूटी नहीं दे पाऊंगा, साहब अभी कोरोना से ठीक हुआ हूं, कमजोरी अधिक है, इस बार ड्यूटी दी तो दोबारा बीमार पड़ने की आशंका है।’ ये कुछ बहाने ऐसे हैं जो कि आजकल पंचायत चुनाव डयूटी के लिए खुले कंट्रोल रूम में आम देखे और सुने जा रहे हैं। चुनाव डयूटी कटवाने में प्राइमरी के मास्साब और मैडम जी सबसे अधिक बहानेबाजी कर रहे हैं।
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दरअसल, मेरठ में पंचायत चुनाव के लिए तीसरे चरण में मतदान होना है लेकिन उसके लिए अभी से ड्यूटी आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कुछ दिन बाद ट्रेनिंग भी शुरू हो जाएगी। लेकिन तमाम शिक्षक व कर्मचारी अपनी चुनावी ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए तमाम तरह के पैंतरे आजमा रहे हैं। किसी ने खुद को बीमार बताया है, तो किसी ने खुद को परिवार का एकमात्र सहारा, किसी ने बुजुर्ग स्वजन की देखभाल का बहाना बनाया है, तो किसी ने बच्चे छोटे होने का। कुछ कार्मिक पति-पत्नी भी अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए जुगाड़ में लगे हैं। वहीं कुछ लोग भाजपा के सांसद और मंत्रियों तक से चुनाव डयूटी कटवाने की शिफारिशें लगवा रहे हैं। सीसीएल के लिए किया आवेदन बता दें कि पंचायत चुनाव की सुबगुबाहट से ही तमाम शिक्षकों ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी थी। तमाम महिला शिक्षकों ने चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) के लिए आवेदन किया था, तो पुरुष शिक्षकों ने खुद की बीमारी को कारण बताते हुए छुट्टी मांगी थी। हालांकि जिला बेसिक शिक्षाधिकारी मेरठ सतेंद्र कुमार ढाका ने अपने स्तर से सीसीएल या अन्य किसी भी प्रकार की छुट्टी पर तत्काल रोक लगा दी है।
सुबह से शाम तक लगा रहे जुगाड़ :— पंचायत चुनाव की ड्यूटी का खौफ इतना है कि आजकल राज्य कर्मचारी अपना काम छोड़कर सुबह से शाम तक सिर्फ और सिर्फ ड्यूटी कटाने के एक सूत्रीय कार्यक्रम में जुटे हुए हैं। इसके लिए वह विभाग से लेकर कलक्ट्रेट और मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के साथ पत्रकारों, माननीयों व अधिकारियों के साथ अपने पहुंच वाले साथियों को टटोल रहे हैं। कुछ को चुनावी ड्यूटी से इतना डर है कि वह खर्चा करने से भी पीछे नहीं हट रहे।
यह भी पढ़ें: शादियों पर फिर से लगा कोरोना का ग्रहण, छोटी होने लगी मेहमानों की लिस्ट हालांकि ऐसा नहीं है कि छुट्टी के लिए आवेदन करने वाले सभी शिक्षक झूठ बोल रहे हैं, कुछ तो वाकई बेहद परेशान हैं और उनकी स्थिति चुनाव ड्यूटी देने की नहीं है, लेकिन इनमें बड़ी संख्या उन शिक्षकों और कर्मचारियों की है, जिन्होंने कभी भी चुनावी ड्यूटी नहीं दी और इस बार भी नाम कटवाने की जुगत में लगे रहे। शिक्षा विभाग के कई कर्मचारियों के लिए इस बार भी अपनी ड्यूटी से नाम कटवाना प्रतिष्ठा का विषय है।