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ग्रहण के समय मिथुन राशि में सूर्य, चंद्र, राहु ग्रह वक्रीय बुध के साथ होंगे। अग्नि तत्व मंगल, मृत्यु कारक अष्टम भाव में जल की मीन राशि में बैठकर,ग्रहण वाली मिथुन राशि के चारों ग्रहों पर दृष्टि डाल रहे होंगे। इससे शोक, संताप, संक्रमण, लाइलाज बीमारी, महंगाई में बढ़ोत्तरी के योग हैं। ग्रहण के पांच दिन बाद मघा नक्षत्र और शुक्र के संयोग से समुद्री तूफान के योग हैं। यह संयोग 1090 वर्ष बाद बन रहे हैं। यह भी पढ़ें
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भारत भूषण ने बताया कि ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाएगा। मंदिरों में पूजा-अर्चना नहीं होगी। 12 राशियों पर इसका विपरीत प्रभाव रहेगा। जब ग्रहण अपने चरम पर होगा तो सूर्य चमकते हुए कंगन या फिर अंगूठी की तरह नजर आएगा। यह ग्रहण भारत के सभी हिस्सों में साफतौर पर देखा जा सकेगा। कुछ ऐसा ही सूर्यग्रहण 25 साल पहले वर्ष 1995 में भी दिखा था। तब दिन में ही अंधेरा हो गया था। उधर, तीन सिंतबर तक शनि वक्रीय है, ऐसी स्थिति में प्राकृतिक आपदा के साथ ही युद्ध और देश में अशांति की स्थिति बनी रहेगी। ये होगा ग्रहण का समय :— 21 जून की सुबह 10.14 बजे से दोपहर 1.55 बजे तक सूर्यग्रहण रहेगा। कंकण सूर्यग्रहण का नजारा भारत सहित अन्य कई देशों में देखा जा सकेगा। इसका सूतक 20 जून रात 10 बजे से शुरू हो जाएगा।