एनकाउंटर से ठीक पहले सुमित का साथ छोड़ दिया था सोनू यह ऑडियो क्लिप सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है। ऑडियो में हो रही बातचीत के मुताबिक, एनकाउंटर में मारा गया सुमित एक कुख्यात अपराधी था। क्योंकि, क्लिप में उसके फरार दोस्त अपना गुनाह कबूल कर रहे हैं और अब एसटीएफ से बचने के भी प्रयास कर रहे हैं। क्लिप में सोनू नोएडा में हुई वारदातों में खुद शामिल नहीं होने का हवाला देकर खुद को बेकसूर बता रहा है। उसका यह भी कहना है कि मुठभेड़ से पहले सुमित उसे जबरदस्ती अपने साथ ले गया और गाड़ी चलाने को कहा। लेकिन, जब उसने साथ जाने से मना कर रहा था तो सुमित उसे जान से मारने की धमकी लेने लगा। हालांकि, बाद में सुमित ने उसे गाड़ी से उतार दिया और वे लोग निकल गए। वहीं, फोन पर मौजूद दूसरा शख्स सोनू से कहता है, ‘मैंने सुमित के साथ जाने से तुझे मना किया था तो क्यों गया?’ 14 मिनट के इस क्लिप में सोनू नामक शख्स बार-बार अपने आपको बेगुनाह साबित करने की कोशिश कर रहा है। पत्रिका के पास बातचीत का ऑडियो क्लिप मौजूद है, लेकिन बातचीत के दौरान अभद्र भाषा इस्तेमाल करने के कारण हम ऑडियो क्लिप को जारी नहीं कर सकते। लेकिन, इस ऑडियो के वायरल होने से बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले राजनीतिक नेताओं के पसीने छूट सकते हैं।
तीन दिन तक चली सभाएं और पंचायत चिरचिटा गांव के सुमित को तीन अक्टूबर की रात करीब नौ बजे ग्रेटर नोएडा की पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। विरोध में तीन दिन तक सुमित का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। इस दौरान गांव में जमकर सभाएं हुईं। बीजेपी, सपा और आरएलडी के नेताओं ने गांव में शिरकत की और सुमित को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज बुलंद किया। नेताओं ने सुमित को बेकसूर बताया और हत्या के विरोध में आंदोलन करने का ऐलान भी किया। राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने मामले को राज्यसभा और विधानसभा में उठाने का भरोसा दिया, जबकि बागपत विधायक योगेश धामा का कहना है कि वो मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की सिफारिश करेंगे।
परिजनों ने लगाया फर्जी एनकाउंटर का आरोप परिजनों ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए पुलिस को हत्यारा बताया है। वहीं, नोएडा पुलिस का दावा है कैश वैन लूटने के बाद ड्राइवर की हत्या के बाद दो बदमाशों के साथ सुमित गुर्जर भाग रहा था, तभी उसे मुठभेड़ में मार दिया गया। जबकि, परिजनों का कहना है कि नोएडा पुलिस सुमित को पूछताछ के लिए उठाकर ले गई थी, फिर सुमित ने कैसे लूट कर ली। इतना ही नहीं परिवार के लोगों का कहना है कि सुमित के ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। बागपत में ही नहीं शामली, मुज्जफरनगर, सहारनपुर में भी सुमित की कोई क्राइम हिस्ट्री नहीं है। परिवार के लोगों का आरोप है कि सुमित को पुलिस बागपत के बालैनी से पूछताछ के लिए उठाकर ले गई थी, लेकिन चार दिन बाद उसे मुठभेड़ में मार दिया गया। परिजनों का यह भी कहना है कि पुलिस ने सुमित को काफी पीटा और उसकी हत्या करने के बाद फर्जी मुठभेड़ दिखा दी।
क्या था मामला चिरचिटा गांव के सुमित को तीन अक्टूबर की रात करीब नौ बजे ग्रेटर नोएडा की पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। परिजनों का कहना है कि सुमित को बलौनी बस स्टैंड के पास पुलिस 30 सितंबर को उठाकर ले गई थी। बाद में उसकी हत्या कर दी गई। बुधवार रात करीब आठ बजे परिजन पोस्टमार्टम के बाद शव को लेकर घर वापस आ गए थे। तीन दिन तक सुमित का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। सभा में सीबाआई जांच, 50 लाख मुआवाज मिलने के आश्वासन के बाद सुमित का अंतिम संस्कार कर दिया गया।