यह भी पढ़ेंः बसपा में टिकट को लेकर घमासान, कभी मायावती के खास रहे पूर्व सांसद टिकट पाने के लिए ले सकते हैं बड़ा फैसला इसके लिए बकायदा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से बकायदा सर्कुलर जारी किया गया है। जिसमें सभी जिलाध्यक्षों को साफ किया गया है कि वे किसी ऐसे नेता की पैरवी न करें जिसके ऊपर आपराधिक मुकदमें पंजीकृत हैं। उन्होंने साफ किया है कि किसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया जाएगा। प्रदेशाध्यक्ष के मुताबिक जिन लोगों को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए आवेदन करना है, उन्हें पार्टी की ओर से दिए गए फार्मेट पर ही अपनी पूरी जानकारी भरनी होगी।
यह भी पढ़ेंः भाजपा के फायरब्रांड विधायक पर अब इस मुस्लिम चेयरमैन ने लगाए ये आरोप, देखें वीडियो इसके तहत इस आवेदन के लिए बकायदा दस हजार रूपये शुल्क के तौर पर जमा कराना होगा। आवेदनकर्ता को फार्म भरते हुए यह भी बताना होगा कि उसके खिलाफ प्रदेश के किसी थाने में किसी प्रकार का कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं है। इतना ही नहीं आवेदक को समाजवादी बुलेटिन का भी आजीवन सदस्य बनना होगा। इसके लिए भी शुल्क जमा करना होगा। आवेदक को समाजवादी पार्टी का सक्रिय सदस्य होना जरूरी है। खास बात यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बार अपने पार्टी के नेताओं से आवेदन के साथ-साथ इस बात की भी जानकारी मांगी है कि कहीं उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा तो दर्ज नही है। सपा चाहती है कि इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक आवेदनकर्ताओं की छवि साफ-सुथरी हों। उन पर कोई मुकदमा या गंभीर आरोप न हों। इसीलिए यह जानकारी लिखित रूप से मांगी जा रही है।
यह भी पढ़ेंः ज्योतिरादित्य को वेस्ट यूपी का प्रभारी बनाए जाने से युवा कांग्रेसियों में जबरदस्त उत्साह, कह दी ये बड़ी बात यह पहली बार हो रहा है जब लिखित रूप से किसी पार्टी की तरफ से अपराधिक मुकदमों की जानकारी मांगी जा रही है। साथ ही दस हजार रुपये की रकम जमा करने का आदेश भी पहली बार कोई पार्टी कर रही है। ‘पत्रिका’ ने जब समाजवादी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि इससे साफ सुथरी छवि के लोग आगे आएंगे। इस आदेश से चर्चा इस बात की है कि क्या वाकई समाजवादी पार्टी साफ छवि वाले उम्मीदवारों को ही आगामी चुनाव में उतारना चाहती है या फिर साफ छवि होने का सिर्फ दिखावा करना चाहती है।