यह भी पढ़ेंः UP BUDGET 2018- योगी सरकार का सबसे बड़ा बजट, उससे भी बड़ी हैं जनता की उम्मीदें, जानिये क्या है खास पहले घोषणा पत्र ही पूरा कर दें सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर से बात की गई तो उनका कहना था कि पिछले साल बजट में सरकार की ओर से फसली ऋण माफ करने के मद में 36,000 करोड़ रुपये और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए 34,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन जुटाने का प्रस्ताव होने की उम्मीद की गई थी, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। भाजपा सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किए गए कुछ अन्य वादों को भी पूरा नहीं किया है।
यह भी पढ़ेंः UP BUDGET 2018- आज पेश होगा बजट, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनको दे सकते हैं बड़ा तोहफा ऋण कम कर दे, यही सफलता कांग्रेसी नेता अभिमन्यु त्यागी ने कहा कि पिछले बजट में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2012-13 में राज्य का कुल ऋण 2, 25,123.59 करोड़ रुपये था जो 2017 में 31 मार्च तक बढ़कर 3, 75,049.45 करोड़ रुपये हो गया था। प्रदेश सरकार अगर कुल ऋण को कम करने में सफल हो गई तो यह उसकी थोडी-बहुत उपलब्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को गरीबों के स्वास्थ्य और बेरोजगारी की तरफ ध्यान देना चाहिए। सरकार ने अभी तक पिछले बजट का ही वादा पूरा नहीं किया। गरीबों को निशुल्क दवाइयों की पूर्ति का वादा किया गया था, लेकिन सरकारी अस्पतालों में अब भी गरीबों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पडती है। प्रदेश में सड़कें बेहाल हैं।