भीमराव अंबेडकर को लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने दिया बड़ा बयान, विपक्षी दलों में मची हलचल
पुराने के बजाए नए चेहरों पर अधिक ध्यान होगा। जनवरी में प्रदेश अध्यक्ष पद पर फैसला होने के बाद कार्यकारिणी और फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन भी होना है। जिलाध्यक्षों के अलावा ब्लॉक कमेटियों के गठन की औपचारिक घोषणा अभी शेष है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में भी गुजरात की तर्ज पर रणनीति बना सकती है। दलितों के अलावा पिछड़ों खासकर अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना है।कोतवाल ने दो युवकों के साथ किया था ये खौफनाक
काम , अब हुई ये बड़ी कार्रवाई महागठंधन में नहीं मिली सम्मानजनक भागीदारी तो दिखाएंगी अपना दमकांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक त्यागी ने बताया कि उप्र में महागठबंधन जैसी स्थिति में सम्मानजनक स्थिति न होने की स्थिति में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेगी।
कांग्रेस का पिछड़ जोड़ो फार्मूला उप्र के विधानसभा चुनाव में अमल नहीं हो पाया था। क्योंकि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के कारण कांग्रेस के सभी दांव फेल हो गए थे। पूर्व सांसद राजाराम पाल को पिछड़ों को जोड़ने की कमान सौंपी गयी थी। प्रशांत किशोर प्लान के मुताबिक पीएल पुनिया को दलितों को जोड़ने के लिए आगे किया गया था तो राजाराम पाल पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए लगाए गए थे। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व संजय सिंह को क्रमशः ब्राहमण व क्षत्रिय चेहरे के तौर पर प्रचारित किया गया था।
प्रदेश संगठन के पुनर्गठन में अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जनार्दन द्वेदी ने पत्रिका को बताया कि पिछड़े वर्ग की एक जाति को छोड़ अन्य जातियों के साथ न्याय नहीं हो सका, जिस कारण कांग्रेस की ओर उनका रुझान अधिक है। संगठन में अहम पदों पर पिछड़ा वर्ग की अन्य जातियों को समायोजित किए जाने से उनका भरोसा मजबूत होगा।
प्रदेश के कांग्रेसियों को अपना प्रदेश अध्यक्ष और अपने जिलाध्यक्ष का इंतजार काफी समय से है, लेकिन अभी तक नामों की घोषणा नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर वोटों का गणित साधा जाएगा। आधे से अधिक जिलों में नए चेहरों को संगठन की कमान सौंपी जाएगी। फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन करते हुए निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी होगी।