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Solar Eclipse 21 June 2020: सूर्य ग्रहण के दौरान किया ये काम तो जीवन में हमेशा के लिए छा सकता है अंधेरा

Highlights:
-21 june 2020 को है सबसे लंबी अवधि का solar eclipse
-धार्मिक और वैज्ञानिक नजरिए ये surya grahan देखने से बचें
-grahan देखने से आंखों की रोशनी जाने पर संभव नहीं है इलाज

मेरठJun 20, 2020 / 05:52 pm

Rahul Chauhan

साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को, 3 घंटे 34 मिनट की होगी अवधि, दोपहर 12 बजे सूर्य को 63त्न ढक लेगा चंद्रमा

मेरठ। आगामी 21 जून को सूर्य ग्रहण (surya grahan) है, जो लगभग दो घंटे से भी अधिक समय तक स्पष्ट दिखाई देगा (solar eclipse 21 june 2020)। बहुत से लोग इसे धार्मिक और वैज्ञानिक नजरिये से देखते हैं। वैज्ञानिक नजरिये से देखने के लिए सबसे पहले सूर्य ग्रहण को समझना पड़ेगा। सूर्य ग्रहण (surya grahan 2020) देखने से आंखों की रोशनी जाने पर इलाज संभव नहीं होता है।
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वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डा. संदीप मित्तल बताते हैं कि सूर्य ग्रहण ब्रम्हाण्ड में कभी-कभी होने वाली एक भौगोलिक घटना है। जो उस समय होती है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा बिल्कुल सीध में आ जाता है। उस समय चन्द्रमा सूर्य के सर्वाधिक निकट होने के कारण पृथ्वी के कुछ हिस्से में दिन के समय अंधेरा छा जाता है। ब्रम्हाण्ड में होने वाला यह नजारा हर कोई देखने की इच्छा रखता है। लेकिन इस अद्भुत घटना को देखने से आंखों में होने वाले नुकसान के बारे में बहुत ही कम लोग जानते है।
उनका कहना है कि सूर्य को सीधा देखने से जब उसकी रोशनी सीधे हमारी आंखों में पड़ती है तब आंखें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसे दो प्रकार से समझा जा सकता है, पहला मैग्नीफाइंग ग्लास एवं दूसरा आंखों की संरचना से। मैग्नीफाइंग ग्लास एक लेंस है, जिसके साथ बहुत से लोगों ने पढा भी है और खेला भी है। यह वह लेंस है जो सूरज से आने वाली किरणों को एक जगह फोकस कर देता है।
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एक साथ होकर आने वाली किरणें करती है डैमेज :—

सूर्य की किरणें जब एक साथ होकर किसी केन्द्र बिन्दु पर आती हैं तो उसे डैमेज कर देती हैं। जब भी सूर्य ग्रहण होता है तब कई प्रकार की अटकलों से लोगों को डराया जाता है। लेकिन असल में दिक्कत ग्रहण में नहीं, सूरज में है। ग्रहण हो या न हो, सूरज को कभी भी डायरेक्ट नहीं देखना चाहिये। बहुत से लोगों में सूर्य ग्रहण को देखने की लालसा रहती है। इसका एक कारण यह भी है कि ग्रहण वाले सूरज में सामान्य सूरज की अपेक्षा रोशनी बहुत कम होती है। जिसे लोग टकटकी लगाये बिना पलक झपके कई मिनट तक देखते रहते हैं।
इस प्रक्रिया में बहुत ज्यादा रोशनी आंखों के लेंस से होकर सीधे रेटिना को फोकस कर उसे खराब कर देती हैं। जिस कारण कुछ लोग पूर्णतः अंधे हो जाते है या फिर ज्यादातर लोगों को सेन्ट्रल वीजन (केन्द्रीय द्रष्टि ) खराब हो जाता है जो हमारी द्रष्टि का बहुत ही अहम हिस्सा है जिसके दम पर हम किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर पहचान अथवा समझ पाते हैं। जैसे पढ़ना, गाडी चलाना, किसी व्यक्ति के चेहरे को देख पाना आदि सेन्ट्रल वीजन के कारण ही संभव है। ग्रहण वाले सूरज को देखने पर हमारे रेटिना की कोषिकायें मर जाती हैं।

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