यह भी पढ़ेंः आपके जीवन में ये मछलियां हैं बहुत जरूरी, इन्हें घर में रखने के रहस्य जानेंगे, तो रह जाएंगे दंग यह भी पढ़ेंः कैराना के परिणाम के बाद भाजपा के इस गढ़ में भी मंडराने लगा है यह खतरा 800 साल पुरानी है मेरठ की ईदगाह मेरठ में दिल्ली रोड स्थित शाही ईदगाह करीब 800 साल पुरानी है। इसका निर्माण 1210 ईसवीं के बीच उस समय दिल्ली की सल्तनत पर काबिज कुतबुद्दीन ऐबक ने कराया था। उस समय कुतबुद्दीन कई बार यहां पर ईद की नमाज पढ़ने के लिए आया था। जानकारों के अनुसार बादशाह घोडे़ पर दिल्ली से नमाज पढ़ने आता था। उसके साथ पूरा लावलश्कर होता था। नमाज पढ़ने के बाद यहां पर बड़ी-बड़ी ढेंग चढ़ार्इ जाती थी और उसमें गरीबों के लिए भोजन बनाया जाता था, जो शहर और आसपास के क्षेत्रों में बांटा जाता था।
यह भी पढ़ेंः यूपी के इस शहर में अलविदा जुमा की नमाज हुर्इ संगीनों के साए में यह भी पढ़ेंः मायावती के इस खास सिपाही की मुश्किलें बढ़ी, इस बोर्ड ने भी फैसले पर लगा दी अपनी मुहर एक साथ बिछती हैं 131 सफे शाही ईदगाह भीतर से इतनी विशाल है कि इसके भीतर 131 सफे एक साथ बिछाई जाती है। जिसमें करीब 60 हजार अकीदतमंद एक साथ नमाज अदा करते हैं। ईदगाह की एक और खासियत यह है कि इसका निर्माण के दौरान जमीन के भीतर इसकी कोई बुनियाद नहीं रखी गई। ईदगाह को सीधे बिना बुनियाद के ही बनाया गया है। ईदगाह के निर्माण में मिट्टी और चूने के मिश्रण का प्रयोग किया गया। पूरी ईदगाह मिट्टी की चिनाई से बनाई गई है।
ईटों पर अरबी में लिखी है इबारत मेरठ में दिल्ली रोड स्थित इस ईदगाह की सबसे अहम और अलग खासियत यह है कि इसके निर्माण में जिन ईंटों का प्रयोग किया गया है उनमें अरबी की इबारत लिखी है। एक-एक शब्द को अलग-अलग फरमे में ढालकर उसे अच्छी तरह से पकाकर उसे जोड़कर बनाया गया। ईदगाह की ऊपर देखने पर पता चलता है कि इसकी शुरूआत कुरान के पहले शब्द बिसमिल्लाहउर्रहमानउर्रहीम से की गई। इतिहासकारों का कहना है कि पूरे हिन्दुस्तान में जितनी भी ईदगाह हैं उनमें अगर किसी में ईंटों पर इबारत लिखी हुई है तो वह सिर्फ मेरठ के शाही ईदगाह में ही है।