यह भी पढ़ेंः सावन में 20 साल बाद बन रहा यह दुर्लभ संयोग, इस महीने शिव की भक्ति करेंगे एेसे तो मिलेगा मनोवांछित फल यह भी देखेंः कांवड़ यात्रा 2018: इस जिले में कांवरियों की सुरक्षा को लेकर बना हाईटेक प्लान कांवड़ उठाने के बाद इन कामों से बरते सावधानियां पंडित कमलेश्वर ने बताया कि भोलेभक्त को कांवड़ लाने के दौरान लिए किसी भी प्रकार का नशा वर्जित है। इस दौरान तामसी भोजन यानी मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं किया जाता। इसके अलावा प्याज, लहसुन का त्याग करेें, आैर बिना स्नान किए अपनी कांवड़ को हाथ न लगाएं। कांवड़ यात्रा के दौरान तेल, साबुन, कंघी करने व अन्य श्रृंगार सामग्री का उपयोग वर्जित है। कांवड़ यात्रियों के लिए चारपाई पर बैठना एवं किसी भी वाहन पर चढ़ना मना है। चमड़े से बनी वस्तु का स्पर्श भी कावंड़ यात्रियों के लिए वर्जित है। रास्ते में किसी वृक्ष या पौधे के नीचे कांवड़ रखना वर्जित है। इससे कांवड़ खंडित मानी जाती है। कांवड़ यात्रा में बोल बम एवं जय शिव-शंकर घोष का उच्चारण करने के साथ ‘ऊं नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए। कांवड़ को सिर के ऊपर से लेने तथा जहां कांवड़ रखी हो उसके आगे बगैर कांवड़ के नहीं जाने के नियम का पालन जरूरी है। इस तरह कठिन नियमों का पालन कर कांवड़ यात्री अपनी यात्रा पूरी करते हैं। इन नियमों का पालन करने से मन में संकल्प शक्ति का जन्म होता है।