यह भी पढ़ेंः हाईकोर्ट बैंच के लिए वकीलों के साथ नहीं जाएंगे सांसद तो चलेगा ‘हल्ला बोल’ यह भी पढ़ेंः अब इस सिद्धपीठ पिंडी का आरओ जल से होगा अभिषेक विपक्ष के निशाने पर ‘राष्ट्रोदय’ ‘राष्ट्रोदय’ आम लोगों के बीच चर्चा में तो है ही, लेकिन यह कार्यक्रम भाजपा की विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गया है। कार्यक्रम की तैयारी देख इसकी सफलता का राजनैतिक आंकलन करने में विपक्षी पार्टियां जुट गई हैं। सपा और बसपा सूत्रों की मानें तो उनके केन्द्रीय नेतृत्व ने अपने स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों को ‘राष्ट्रोदय’ की तैयारी और इसका राजनैतिक अवलोकन कर उसकी रिपोर्ट नेतृत्व को सौंपने का जिम्मा सौंपा है।
सामाजिक समरसता मंत्र विपक्ष चौकन्ना कार्यक्रम संयोजन अजय मित्तल के अनुसार आरएसएस का ‘राष्ट्रोदय’ कार्यक्रम का मंत्र है ‘सामाजिक समरसता का संदेश’ कार्यक्रम में आने वाले चार लाख स्वयं सेवकों के लिए उनके ठहरने और उनके भोजन के इंतजाम की व्यवस्था बड़े ही अनूठे तरीके से की गई है। ‘राष्ट्रोदय’ में आने वाले स्वयं सेवकों के लिए बिना भेदभाव के लाखों परिवार से भोजन एकत्र किया जाएगा। विशेष बात है कि इनमें अधिकांश दलित और अति पिछड़े वर्ग के परिवार शामिल हैं। कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद जैसे दलों की नींद उड़ा दी है। इन सभी दलों के पार्टी नेतृत्व ने अपने स्थानीय नेताओं को ‘राष्ट्रोदय’ पर निगाह रखने का जिम्मा सौंपा है। खासकर इसका अवलोकन करने आने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखने को कहा है। जागृति विहार एक्सटेंशन में 25 फरवरी को होने वाले इस कार्यक्रम में चार लाख स्वयं सेवक उपस्थित होंगे।
भाषण से तय होगी राजनीति दिशा सपा और बसपा के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो ‘राष्ट्रोदय’ की जानकारी के लिए स्थानीय नेताओं को लगाया गया है। आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत के भाषण वेस्ट की राजनीति की दिशा तय करेगा। ‘राष्ट्रोदय’ का अवलोकन करने के लिए आने वाले लोगों का रिकार्ड एकत्र करके उनकी प्रतिक्रिया भी जानी जाएगी। रालोद नेताओं का भी मानना है कि आरएसएस के इस कार्यक्रम का आने वाले समय में देश की राजनीति में गहरा असर डालेगा। जिसका असर आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में पड़ेगा।
सपा और बसपा की बेचैनी बढ़ी सामाजिक समरसता की बात करने वाले संघ के इस कार्यक्रम ने जातिवाद की राजनीति करने वाली सपा और बसपा जैसी पार्टियों की बेचैनी बढ़ा दी है। बसपा जहां अपने छिटके दलित वोट बैंक को समेटने की जुगत में लगी है, वहीं सपा की भी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को लामबंद करने की कोशिश है। आरएसएस की दलित और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को जाति भेद भुलाकर उनमें खुद को हिन्दू के रूप में पहचान बताने का स्वाभिमान जगाने की मुहिम से दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व चिंतित है।
छह पार्किग स्थल बनाएं जाएंगे कार्यक्रम स्थल पर छह पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इनमें चार हजार से ज्यादा बस, 2000 कार और हजारों दोपहिया वाहन पार्क किए जाएंगे। यह भी पढ़ेंः योगी के राज में यहां छात्र खुलेआम कर रहे फायरिंग, कोर्इ रोकने वाला नहीं यह भी पढ़ेंः होली पर यहां के किसानों को 148 करोड़ का तोेेहफा!