क्या बीजेपी का काम खराब करेगी राजपूत समाज की महापंचायत ? पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ननौता गांव ठाकुर समाज के लोगों के जुटान का गवाह बना था। क्षत्रिय समाज संघर्ष समिति की ओर से ननौता गांव में आयोजित क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए वेस्ट यूपी ही नहीं बल्कि राजस्थान और हरियाणा से भी लोग आए थे। फिलहाल इस जुटान का सबसे बड़ा प्रभाव यह हुआ कि नेशनल मीडिया में यह बात आ गई कि भाजपा से राजपूत समाज नाराज हैं। इससे पहले कि ये मामला बड़े भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक मशीनरी राजपूतों को मनाने में जुट गई है। बताया जा रहा है कि 11 अप्रैल को मेरठ के सिसौली में,13 अप्रैल को गाजियाबाद के धौलाना और 16 अप्रैल के सरधना के खेड़ा में क्षत्रिय स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस तरह से उत्तर प्रदेश के पहले चरण और दूसरे चरण की सीटों पर भाजपा का प्लान खराब करने की तैयारी में है।
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फायर ब्रांड नेताओं के हासिए पर जानें से नाराज है ठाकुर समाज ऐन चुनाव के एक हफ्ते पहले इस तरह राजपूत समाज का जुटान होना संदेह तो पैदा कर ही रहा है। केवल टिकट कम मिलने का बहाना लेकर बीजेपी के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं किया जा सकता था। जाहिर है कि पार्टी के ही कुछ लोग इसके पीछे हैं। मेरठ के वरिष्ट पत्रकार प्रेमदेव शर्मा बताते हैं कि राजपूत संगठनों में कई गुट और खेमे हैं। भाजपा को लेकर सामने आया असंतोष पूरी तरह गुटबाजी का ही नतीजा है। कहा जा रहा है कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के फायरब्रांड चेहरे रहे सुरेश राणा, संगीत सोम और चंद्रमोहन को हाशिए पर भेजे जाने से राजपूत समाज में नाराजगी है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ में पकड़ रखने वाले सुरेश राणा को बीजेपी ने बरेली मंडल की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं चंद्रमोहन को बागपत जिले का प्रभारी बनाया गया हैं, जो सीट बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के खाते में गई है। वेस्ट उत्तर प्रदेश में जो ठाकुर चौबीसी बीजेपी की जीत की कहानी लिखती थी। उसी ठाकुर चौबीसी ने बीजेपी के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। राजपूत समाज के इन बगावती तेवरों ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी कैंडिडेट संजीव बालियान की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ा दी हैं।
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