मेरठ

Lok Sabha Elections 2024: UP में क्या BJP से नाराज है राजपूत समाज? जानें पूरा मामला

UP Lok Sabha Elections 2024: पूर्वांचल के राजनीतिक गलियारों में यहां तक कहा जाता है कि गैर-बीजेपी दल का ठाकुर या राजपूत नेता केवल शरीर से ही उस पार्टी में है। लेकिन उसकी आत्मा बीजेपी में होती है। जाहिर है कि जब ऐसी बातें हो रही हों तो ठाकुर समाज की भाजपा से असंतोष की बात पर भला कौन यकीन करेगा?

मेरठApr 10, 2024 / 05:41 pm

Aman Kumar Pandey

PM Modi CM Yogi Sangeet Som

Lok Sabha Elections 2024: पिछले हफ्ते गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में अचानक बीजेपी के खिलाफ राजपूतों के कुछ संगठनों ने मोर्चा संभाल लिया। यह बड़ा ही अचंभित करने वाला था। क्योंकि उत्तर प्रदेश में इस समय ठाकुर भारतीय जनता पार्टी के कट्टर समर्थक हैं। पूर्वांचल के राजनीतिक गलियारों में यहां तक कहा जाता है कि गैर-बीजेपी दल का ठाकुर या राजपूत नेता केवल शरीर से ही उस पार्टी में है। लेकिन उसकी आत्मा बीजेपी में होती है। जाहिर है कि जब ऐसी बातें हो रही हों तो ठाकुर समाज की भाजपा से असंतोष की बात पर भला कौन यकीन करेगा? पर ये गॉसिप नहीं है हकीकत है। पर सवाल यह है कि ठाकुर समाज का यह असंतोष किस लेवल का है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
क्या बीजेपी का काम खराब करेगी राजपूत समाज की महापंचायत ?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ननौता गांव ठाकुर समाज के लोगों के जुटान का गवाह बना था। क्षत्रिय समाज संघर्ष समिति की ओर से ननौता गांव में आयोजित क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए वेस्ट यूपी ही नहीं बल्कि राजस्थान और हरियाणा से भी लोग आए थे। फिलहाल इस जुटान का सबसे बड़ा प्रभाव यह हुआ कि नेशनल मीडिया में यह बात आ गई कि भाजपा से राजपूत समाज नाराज हैं। इससे पहले कि ये मामला बड़े भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक मशीनरी राजपूतों को मनाने में जुट गई है। बताया जा रहा है कि 11 अप्रैल को मेरठ के सिसौली में,13 अप्रैल को गाजियाबाद के धौलाना और 16 अप्रैल के सरधना के खेड़ा में क्षत्रिय स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस तरह से उत्तर प्रदेश के पहले चरण और दूसरे चरण की सीटों पर भाजपा का प्लान खराब करने की तैयारी में है।
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फायर ब्रांड नेताओं के हासिए पर जानें से नाराज है ठाकुर समाज

ऐन चुनाव के एक हफ्ते पहले इस तरह राजपूत समाज का जुटान होना संदेह तो पैदा कर ही रहा है। केवल टिकट कम मिलने का बहाना लेकर बीजेपी के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं किया जा सकता था। जाहिर है कि पार्टी के ही कुछ लोग इसके पीछे हैं। मेरठ के वरिष्ट पत्रकार प्रेमदेव शर्मा बताते हैं कि राजपूत संगठनों में कई गुट और खेमे हैं। भाजपा को लेकर सामने आया असंतोष पूरी तरह गुटबाजी का ही नतीजा है।
कहा जा रहा है कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान पश्च‍िमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के फायरब्रांड चेहरे रहे सुरेश राणा, संगीत सोम और चंद्रमोहन को हाशिए पर भेजे जाने से राजपूत समाज में नाराजगी है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ में पकड़ रखने वाले सुरेश राणा को बीजेपी ने बरेली मंडल की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं चंद्रमोहन को बागपत जिले का प्रभारी बनाया गया हैं, जो सीट बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के खाते में गई है। वेस्ट उत्तर प्रदेश में जो ठाकुर चौबीसी बीजेपी की जीत की कहानी लिखती थी। उसी ठाकुर चौबीसी ने बीजेपी के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। राजपूत समाज के इन बगावती तेवरों ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी कैंडिडेट संजीव बालियान की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ा दी हैं।
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संजीव बालियान के काफिले पर हुआ था हमला

बीते 31 मार्च को मेरठ जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से दो दिन पहले खतौली विधानसभा के ठाकुर बाहुल्य ग्राम मढ़करीमपुर में संजीव बालियान चुनाव प्रचार प्रसार के लिए अपने जनसंपर्क में गए थे। यहां संजीव बालियान के काफिले पर हमला हुआ। इसमें कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं थी। तब संजीव बालियान ने आरोप लगाया कि उनपर यह हमला संगीत सोम के इशारे पर हुआ है। संगीत सोम के भाई एक दिन पहले मढ़करीमपुर गांव में गए थे। जिस पर संगीत सोम ने स्पष्ट किया कि उनके भाई उस गांव में काफी दिन से नहीं गए है। मेरठ में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली के बाद मुख्य मंच के पीछे बने सेफ हाउस में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लिया। और इसके बाद सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम और केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के साथ एक बैठक भी की।

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