यह भी पढ़ेंः कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अभियंता बर्खास्त, इन सात मामलों को लेकर चल रही थी जांच ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किया काम कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले मौलवी लियाकत अली खान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। अली खान में बचपन से ही धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर लिया था। तभी से उनमें अंग्रेजी राज विरोधी सोच पैदा हो गई थी। ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर उन्होंने भारतीय सैनिकों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ विचारों का मतारोपण करना प्रारंभ किया। ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों को इसकी भनक लग गई, जिसके कारण उन्हें सेना से निष्कासित कर दिया गया।
यह भी पढ़ेंः Raksha Bandhan 2019: इस बड़ी बहन की मेहनत से टीम इंडिया को मिला स्टार बॉलर, जानिए पूरी कहानी 1857 की क्रांति को याद किया मौलाना मशुददुलरहमान शाहीन जमाली ने कहा कि इतिहास में अंग्रेजों के विरूद्ध भारतीयों के आक्रोश का प्रतीक माने जाने वाले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने किया। बहादुर शाह जफर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक जिन्होंने 1857 में मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। और नई दिल्ली के लाल किला पहुंच गए। बहादुर शाह जफर ने 12 मई को अपना दरबार लगाया और कई नियुक्तियां की तथा अंग्रेजों के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी थी। इस दौरान मदरसे में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और तिरंगा के सामने राष्ट्रीय गीत गाया गया। इसके बाद मदरसे के छात्रों को मिठाइयां बांटी गई।