मेरठ

आलू न बने राजनीतिक मुद्दा, इसलिए सरकार ने लिया यह फैसला

यूपी सरकार ने किसानों से आलू सीधे लेने का फैसला लिया

मेरठMar 08, 2018 / 03:58 pm

sanjay sharma

मेरठ। इस वर्ष आलू की बम्पर पैदावार से किसान के चेहरे खिले हुए थे, लेकिन आलू के दाम अर्श से फर्श पर आए और कोल्ड स्टोर में आलू रखने का किराया बढ़ने से आलू उत्पादक किसानों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने अब आलू उत्पादक किसानों के हित में ऐसा फैसला लिया कि उनके चेहरे पर खुशी फिर से लौट आई। योगी सरकार ने किसानों से सीधे आलू खरीदने का फैसला किया है। इससे जहां आलू किसानों में हर्ष की लहर है, वहीं योगी सरकार के विरोधी दलों को आलू के नाम पर राजनीति करने का अवसर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा से खो गया।
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दो लाख मीट्रिक टन आलू खरीद का रखा लक्ष्य

योगी सरकार ने आलू उत्पादक किसानों से इस साल करीब दो लाख मैट्रिक टन आलू खरीदने का लक्ष्य रखा है। योगी सरकार की बाजार हस्ताक्षेप योजना के तहत सरकार की सहकारी एजेंसियां किसानों से सीधे आलू खरीद करेंगी। कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने सभी जिलाधिकारियों और निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को अपने पत्रांक संख्या 7/2018 जीआई-11/58 के तहत भेजे आदेश में कहा है कि शासन 31 मार्च तक किसानों से दो लाख मैट्रिक टन आलू खरीद का निर्धारण किया है।
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ये सहकारी संस्थाएं खरीदेंगी आलू

योजनान्तर्गत दो लाख आलू का क्रय यूपी एग्रो, पीसीएफ, उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड हाफेड तथा एनसीसीएफ के द्वारा किया जाएगा। यूपी एग्रो और पीसीएफ एवं हाफेड को कृषि उत्पादन मंडी परिषद चार माह के लिए दो-दो करोड़ रुपये ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराएंगी।
तय करेंगे डीएम

क्रय केंद्र कहां खोले जाए यह जिलाधिकारी तय करेंगे। आलू क्रय करने वाली संस्थाओं की मांग और परामर्श से क्रय केंद्रों की संख्या एवं उनके लक्ष्यों का निर्धारण किया जाएंगा। आलू क्रय करने की अवधि 31 मार्च 2018 तक रहेगी। आवश्यक्ता पड़ने पर इसे सरकार की सहमति के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
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आलू न बने मुद्दा उठाया योगी सरकार ने ये कदम

आलू का मुद्दा राजनीतिक न बनने देने के लिए योगी सरकार ने हरसंभव कदम उठाने का फैसला किया है। लखनऊ में विधानसभा के बाहर काफी बोरी आलू फेका गया था। जिसे समाजवादी पार्टी ने मुद्दा बनाया था। बसपा और कांग्रेस भी आलू उत्पादक किसानों के हितों की बात सार्वजनिक रूप से कर सरकार को घेरने की बात करती रही है। पिछले साल सरकार ने सत्ता संभालने के तत्काल बाद एक लाख मीट्रिक टन आलू 487 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था। इससे आलू के बाजार भाव चढ़ गए थे और किसानों को खुले बाजार में भी वाजिब दाम मिल सका। इसके लिए उद्यान विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। यहां बता दें कि बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत कुल उत्पादन के 20 फीसदी हिस्से की सरकारी खरीद हो सकती है। इस समय किसान कच्चे आलू की खुदाई कर रहे हैं, जो उपयोग न होने की स्थिति में 3-4 दिन में ही काला पड़कर खराब हो जाता है। इसलिए किसान उतने ही आलू की खुदाई कर रहे हैं, जितना मंडी में बिक जाए।
डीएम ने कहा

जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने बताया कि आलू खरीद योजना पर अमल लाने के लिए संबंधित सहकारी संस्थाओं को पत्र भेजा गया है। क्रय केंद्रों के लिए इन्हीं संस्थाओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं।
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