यह भी पढ़ेंः VIDEO: पलायन मामले में यहां कड़ी सुरक्षा की कवायद शुरू, इतने सीसीटीवी कैमरे लगेंगे हैरान कर देगा काम का ये तरीका यह गिरोह पिछले काफी समय से मेरठ ही नहीं पूरे पश्चिम उप्र में सक्रिय था। गिरोह ने करीब साढ़े चार करोड़ के ट्रक इसी तरह से पहले खरीदे और उसके बाद चोरी करवाकर बेच दिए। चोरी गए ट्रक से ये लोग इंशोरेंस कंपनी से मोटा क्लेम वसूलते थे। क्लेम वसूलने के बाद ये लोग उसी ट्रक का नंबर बदलकर बाजार में महंगे दामों में बेच देते थे। ठगी के इस मामले में आरटीओ के अधिकारियों सहित दर्जनों लोग शामिल बताए गए हैं। दरअसल, थाना किठौर पुलिस को काफी दिनों से सूचना मिल रही थी कि पहले नए ट्रक फाइनेंस कंपनी के माध्यम से खरीदे जाते हैं उसके बाद ये ट्रक चोरी हो जाते हैं। किठौर पुलिस मामले की पड़ताल में लगी तो इलाके से चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन लोगों से पूछताछ की गई तो पता चला कि यह पूरा गैंग हैं जो इसी काम को करता है। इसमें आरटीओ विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं जो कि चोरी गए ट्रकों की फर्जी आरसी बनाने का काम करते है।
यह भी पढ़ेंः पलायन मुद्दे पर सेना की खुफिया टीम ने भी जाने यहां के हालात, दर्ज किए लोगों के बयान 12 ट्रक समेत चार पकड़े पकड़े गए लोगों की निशानदेही पर परतापुर-दिल्ली रोड पर ट्रक सहित दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इनके कब्जे से 12 ऐसे ट्रक बरामद किए जो कि कुछ महीने पहले फाइनेंस कंपनी के मार्फत खरीदे गए थे। ये ट्रक कुछ दिनों बाद चोरी हो गए। पकड़े गए इन लोगों से दूसरे राज्यों की करीब 25 आरसी के अलावा 38 पहचान पत्र, पैन कार्ड 36, आधार कार्ड और चार चेक बुक एक्सिस बैंक की बरामद हुई हैं। पुलिस की मानें तो इस पूरे कांड में बिजनौर के आरटीओ कार्यालय में तैनात बाबू आलोक कुमार और बाबू निहाल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार आरटीओ के कर्मचारी बीस हजार रूपये में फर्जी आरसी प्रति ट्रक के हिसाब से बनवा रहे थे। उन्होंने अभी तक काफी इस तरह की सैकड़ों घटनाओं को अंजाम दिया है। बरामद हुए ट्रकों की कीमत करीब साढ़े चार करोड़ रुपये बताई जा रही है। एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि इस मामले में आरटीओ विभाग के अन्य कर्मचारियों के अलावा अधिकारी भी शामिल हैं उनकी संलिप्तता की जांच की जा रही है।