यह भी पढ़ेंः भारतीय रेलवे के ‘मेकमार्इट्रिप’ से मिलेगी वेटिंग टिकट के संबंध में ये अहम जानकारी वर्षों बाद बन रहा यो योग ज्योतिषाचार्य के अनुसार आश्विन कृष्णपक्ष (महालय) तथा कनागत नाम से जाने वाले इस पक्ष को कन्या राशि गत सूर्य में श्रेष्ठ माना जाता है, जो कि इस बार वर्षों बाद बन रहे हैं, यह एक ऐसी अवधारणा है। जिसे सभी धर्म के लोग मानते हैं। यह दुर्लभ योग शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध और तर्पण का अनंत गुना फल देगा। जिससे पितृ प्रसन्न हो जाएंगे।
यह भी पढ़ेंः इतने दिन बैंकों की बंदी को लेकर मच गर्इ अफरातफरी, जानिए इसके पीछे क्या है वजह ये माने जाते हैं पितरों के कारक ज्योतिष के अनुसार पितरों का कारक माना जाता है सूर्य तथा ननिहाल पक्ष का कारक माना जाता है राहु ये दोनों जब साथ में कुंडली में आ जाएं तब चतुर्थ तथा दशम भाव बैठते हैं। जिससे एक महत्वपूर्ण दोष उत्पन्न होता है और उसे पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
ये ग्रह आ रहे हैं एक साथ ज्योतिषार्च के अनुसार पहली बार ऐसा योग बना है जब श्राद्ध पक्ष में सूर्य, बुध,राहु उच्च कन्या राशि में एक साथ हैं। जो इस योग में श्राद्ध, तर्पण करेगा उसे यह योग कई गुना शुभ फल देगा।
16 दिन तक रहेगा ग्रहण योग सूर्य व राहु की युति होने से 16 दिन तक ग्रहण योग का प्रभाव रहेगा। 1977 में भी 28 सितंबर मंगलवार को ऐसा योग बना था। जब पितृ पक्ष की शुरूआत हुई थी। साथ ही उस समय सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण का योग भी बना था। 19 साल बाद श्राद्ध पक्ष में सूर्य व राहु की युति से गजछाया योग बन रहा है। इसके पहले 1996 में यह योग बना था। ऐसे योग में पितृकर्म (श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान) करने से उसका अनंत गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इस योग में पितरों के निमित्त श्राद्ध आदि करने से वे पूर्णतरू तृप्त होंगे व श्राद्ध करने वाले को धन-धान्य, पुत्र-पौत्र, सुख-संपत्ति आदि का सुख प्राप्त होगा। इसमें तर्पण श्राद्ध करना उत्तम फल दायक रहेगा इसी दिन अनंत चतुदर्शी भी होने से योग्य विद्वान पंडित से विशेष पूजन,तर्पण, पितृ शांति करवाएं।
पितृ पक्ष 2018 24 सितंबर, सोमवार- पूर्णिमा श्राद्ध 25 सितंबर, मंगलवार- प्रतिपदा श्राद्ध 26 सितंबर, बुधवार- द्वितीय श्राद्ध 27 सितंबर, गुरुवार- तृतीय श्राद्ध 28 सितंबर, शुक्रवार- चतुर्थी श्राद्ध 29 सितंबर, शनिवार- पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर, रविवार- षष्ठी श्राद्ध 01 अक्टूबर, सोमवार- सप्तमी श्राद्ध 02 अक्टूबर, मंगलवार- अष्टमी श्राद्ध 03 अक्टूबर, बुधवार- नवमी श्राद्ध 04 अक्टूबर, गुरुवार- दशमी श्राद्ध 05 अक्टूबर, शुक्रवार- एकादशी श्राद्ध
06 अक्टूबर, शनिवार- द्वादशी श्राद्ध 07 अक्टूबर, रविवार- त्रयोदशी श्राद्ध, अनंत चतुर्दशी 08 अक्टूबर, सोमवार- सर्वपितृ अमावस्या