यह भी पढ़ेंः सर्दी के बाद अब गर्मी भी पड़ेगी भयंकर, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी मेरठ समेत वेस्ट यूपी में सीएए के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों को पकडऩे के लिए पुलिस धीमी गति से अपनी कार्रवाई कर रही थी, लेकिन जब प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा किया कि हिंसा कराने के लिए मेरठ में करोड़ों रुपये की फंडिंग हुई है, तो हड़कंप मच गया। प्रवर्तन निदेशालय और एटीएस की टीमें मेरठ में हैं और पीएफआई की कुंडली खंगालने में जुटी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि वेस्ट यूपी के जनपदों में पीएफआई की गहरी जड़ें फैली हैं। इनमें मेरठ में बड़ी हिंसा कराने के लिए पीएफआई ने अपने सदस्यों को छोड़ रखा था। दिल्ली से करीब 20 लोगों को मेरठ में भेजा गया। लिसाड़ीगेट इलाके में लोगों को उकसाने के लिये पहले मीटिंग की और फिर उनको पैसा दिया गया। हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई। कई लोगों के खाते में पैसा भेजने को लेकर भी बैंकों द्वारा जांच चल रही है। ऐसे करीब 40 लोग सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के रडार पर हैं।
यह भी पढ़ेंः सुंदरता घटाने के लिए काट दिए बाल, पत्नी ने पति पर दर्ज कराया मुकदमा पुलिस के अनुसार पीएफआई के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों ने काफी सुबूत जुटा लिए हैं। तीन संगठन भी पीएफआई से जुड़े थे। पुलिस को सिर्फ बैंकों की रिपोर्ट का इंतजार है। बैंकों से पता चलेगा कि आखिर कितने करोड़ में मेरठ की हिंसा की पीएफआई ने की थी। आईजी प्रवीण कुमार का कहना कि पीएफआई ने हिंसा करने के लिए पूरी प्लानिंग की थी। पुलिस ये साजिश रचने वालों को पकडऩे के लिए प्रयासरत है। सारी साजिश दिल्ली में बैठकर की गई। वहीं से इसकी फंडिंग हुई।