यह भी पढ़ेंः UP Board Exam 2020: Chemistry में रासायनिक समीकरणों को सदैव लिखकर करें याद, छोटे प्रश्नों पर करें फोकस Video आजादी की लड़ाई के दौरान 1939 में गांधी जी के मतभेद के बाद सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी भी पार्टी से अलग होने लगे थे। जैसे ही उन्हें पता चला कि नेताजी पहली बार मेरठ आ रहे हैं तो उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी गई। नेताजी जब यहां आए थे रेलवे स्टेशन पर उनके स्वागत में हजारों की भीड़ एकत्र हुई थी। इतिहासकार डा. केके शर्मा का कहना है कि मेरठ कालेज के काफी संख्या में छात्र भी स्वागत में यहां पहुंचे थे। नेताजी को सजी-धजी बग्गी में ढोल-नगाड़ों के साथ टाउनहाल में लाया गया था। उन्होंने यहां हजारों की भीड़ को संबोधित करके आजादी के लिए लडऩे का आह्वान किया था।
यह भी पढ़ेंः Career Tips: पत्रकारिता के क्षेत्र में कॅरियर बनाएं चमकदार, इन बातों पर रखें फोकस उस समय आजादी की लड़ाई के लिए लोगों में जोश भरने का काम नेताजी ने किया। लोगों को संबोधित करते हुए उस समय घंटाघर की घंटी बजी तो नेताजी ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य की समाप्ति की घंटी बज गई है और ज्यादा समय नहीं लगेगा आजादी मिलने में। लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस बात पर जमकर तालियां बजाई और युवाओं ने नेताजी की जय-जयकार की। इतिहासकार डा. केडी शर्मा का कहना है कि नेताजी ने उस समय लोगों में जिस तरह आजादी को लेकर जोश भरा था, काफी समय तक उनके इस मेरठ दौरे की चर्चा रही।