मेरठ

Navaratri 2018: सिद्धपीठ मां काली मंदिर की महा आरती में होती है मुराद पूरी

मेरठ के काली मंदिर में नवरात्र पर होती है विशेष आरती, काफी संख्या में शामिल होते हैं लोग
 
 

मेरठMar 24, 2018 / 09:18 am

sanjay sharma

मेरठ। सदर बाजार स्थित सिद्धपीठ मां काली देवी मंदिर में नवरात्रि पर भक्त मां का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं, क्योंकि कहा जाता है नवरात्र पर मां अपने हर भक्त का ख्याल रखती है आैर खाली हाथ नहीं भेजती। भक्त भी मां की भक्ति सच्चे मन से करते हैं आैर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके महाआरती में शामिल होते हैं आैर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हर साल यहां नवरात्र पर उत्सव जैसा माहौल होता है। काली मंदिर को सजाया जाता है आैर रात तक प्रसाद चढ़ाया जाता है।
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उत्तर भारत के प्राचीन मंदिरों में शुमार

उत्तर भारत के प्राचीन मंदिरों में शुमार मां काली देवी का मंदिर 400 वर्ष से ज्यादा पुराना है। बताते हैं कि यहां पहले श्मशान घाट हुआ करता था। तब यहां मां काली की छोटी सी मूर्ति थी। लोग जब भी यहां आते, मूर्ति की भी पूजा-अर्चना करते थे। फिर यहां जो लोग आते, उनकी मनोकामना भी पूरी होने लगी तो धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी। कहा जाता है क‍ि मां की पूजा-करने से अासुरी शक्तियां, टोने-टोटके दूर होने लगे, तो इस मूर्ति के प्रति लोगों में अटूट श्रद्धा बन गर्इ। करीब डेढ़ सौ साल पहले यहां इस मंदिर की विधिवत स्थापना हुर्इ अब यह सिद्धपीठ के रूप में यह मंदिर जाना जाता है।
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अद्भुत है काली देवी की मूर्ति

श्मशान के बीच मां काली की मूर्ति को लेकर तब कर्इ तरह की चर्चा थी। श्मशान में आने वाले लोग यहां स्थापित काली की मूर्ति को लेकर सामान्य रूप से ही हाथ जोड़कर चले जाते थे, लेकिन जब उनके काम तुरंत होने लगे तो वे बार-बार आने लगे आैर यहां पूजा-अर्चना करने लगे। एक बंगाली परिवार शहर में आया तो उन्होंने श्मशान में मां काली की इस मूर्ति को विलक्षण माना। उन्होंने यहां विधि-विधान से मां की पूजा करनी शुरू की।
हर साल बढ़ जाते श्रद्धालु

पिछले 50 वर्षों में मां काली के दर्शन करने के लिए कर्इ गुना श्रद्धालुआें की संख्या बढ़ी है। वेस्ट यूपी में यह मां काली मंदिर की प्रसिद्धि एेसी है कि यहां नवरात्र के मौके पर मां के दर्शन करने जरूर आते हैं। एेसी मान्यता है कि जो भी यहां रात को होने वाली महाआरती में शामिल होता है, मां उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है।
एेसे प्रसन्न होती हैं देवी

प्रत्येक शनिवार को मां काली देवी को श्रद्धालु चुनरी, श्रंगार का सामान व नारियल चढ़ाते हैं आैर उनके सामने दीपक जलाते हैं। कोर्इ विशेष कामना हो तो यहां धागा भी बांधते हैं आैर पूजा-अर्चना के बाद रात को दस बजे ढोल-नगाड़ों के साथ होने वाली महाआरती में शामिल होते हैं। मान्‍यता है क‍ि उन पर मां काली की कृपा होती है। पढ़ार्इ, करियर व अन्य बिगड़े काम को बनाने में मां का आशीर्वाद मिलता है। किसी युवक, युवती, महिला-पुरुष पर टोने-टोटके, बुरी आत्मा का साया, भूत-प्रेत का साया मां काली देवी के मंदिर में प्रवेश करते ही दूर हो जाते हैं।
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