हालात ये है कि करीब 50 से अधिक मामलों में मिया-बीबी के रिश्ते दरक रहे हैं और उनके घर टूटने के कगार पर हैं। वहीं नारी उत्थान केंद्र में भी ताला डाल दिया गया है। महिला उत्पीड़न के ज्यादातर मामलों को महिला थाने और नारी उत्थान केंद्र में काउंसिलिंग के लिए ही भेजते हैं। यहां काउंसिलिंग करके टूटे घरों को बसाने की कोशिश की जाती है। रोजाना कोई न कोई घर बस ही जाता था, लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ तबसे हर रोज लोग आकर वापस लौट रहे हैं।
यह भी पढ़ें- Meerut: सीएम योगी के दौरे से पहले अलर्ट मोड पर आए अधिकारी, बनाया कोरोना के खात्मे का माइक्रोप्लान दरअसल, लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र की एक महिला को उसके पति ने मारपीट करके घर से निकाल दिया। पीड़िता इंसाफ की गुहार लगाने के लिए एसएसपी के पास गई। वहां से मामला नारी उत्थान केंद्र भेज दिया गया, लेकिन अभी तक कोई काउंसिलिंग नहीं हो पाई है। इसी तरह हस्तिनापुर के एक गांव निवासी महिला की शादी गांव के ही एक युवक संग हुई। पति ने मारपीट कर निकाल दिया। अब सुलह समझौते के जरिए सुलझाने के लिए नारी उत्थान केंद्र भेजा गया है।
नारी निकेतन की प्रभारी आरती त्यागी बताती हैं कि लॉकडाउन से पहले के कई विवाद लंबित पड़े थे। लॉकडाउन के बाद से और मामले महिला उत्पीड़न के आ चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण सतर्कता की वजह से काउंसिलिंग बंद कर दी गई है। इसके बाद क्या फैसला होगा, यह भी पता नहीं है। ढाई सौ से ज्यादा विवाद लंबित चल रहे हैं। कोरोना से राहत मिले तो कुछ काम भी हो।