यह भी पढ़ेंः Sawan Somvar Vrat 2019: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ये करें, मनोवांछित फल की होगी प्राप्ति 70 साल बाद पड़ रही है एेसी नाग पंचमी ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा ने बताया कि वैसे तो सावन के सोमवार को नाग पंचमी आज से 20 वर्ष पूर्व पड़ चुकी है, लेकिन कृष्ण पक्ष की पंचमी और सावन का सोमवार 70 साल बाद लग रहे हैं। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सावन के सोमवार में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब नागपंचमी और सावन का सोमवार एक ही दिन आएंगे। इस दिन शिव और उनके गले में लिपटे रहने वाले नागदेव (Nagdev) दोनों की पूजा होगी। यह दिन काल सर्प योग (Kalsarpa yoga) की पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। सावन मास (Sawan Maas) 17 जुलाई से आरंभ होने जा रहा है और कई शुभ योग के साथ शिव आराधना का पवित्र मास इस दिन से आरंभ हो रहा है।
यह भी पढ़ेंः Kanvad Yatra 2019: ड्रोन कैमरे से होगी निगरानी,गड़बड़ी करने वालों पर कसेगा शिकंजा पूजा से कालसर्प दोषों से छुटकारा पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा के अनुसार इस बार चार सावन के सोमवार का संयोग बन रहा है। वहीं 17 जुलाई को सूर्य प्रदान नक्षत्र उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से सावन मास की शुरुआत होगी। इस दिन विष्कुंभ योग भी बन रहा है। 5 अगस्त को सोमवार और नागपंचमी दोनों ही दिन भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। इसलिए इस अवधि में कालसर्प दोष पूजा के लिए उपयुक्त मुहूर्त माना जाता है। नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के धार्मिक और सामाजिक कारणों के साथ ज्योतिषीय कारण भी हैं।
यह भी पढ़ेंः कांवड़ मेलाः Saharanpur-Muzaffarnagar में तैनात रहेंगे बम निराेधक दस्ते नाग देवता की पूजा करना शुभकारी ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) के अनुसार कुंडली (Kundli) में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष (Kaalsarpa Dosh) होता है। काल सर्प दोष कई प्रकार के होते हैं। इनसे जातक के कार्य आैर उन्नति रुक जाती हैं। इस दोष से मुक्ति के लिए व्यक्ति को नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दक्षिणा का महत्व बताते हैं। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अथार्त शिवलिंग (Shivling) स्वरूप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।