उनका जन्म पुन्नयुरकुलम, पोन्नल तालुक, मालाबार जिला, ब्रिटिश भारत में 31 मार्च, 1934 को हुआ था। उनके पिता, मलयालम दैनिक, मातृभूमि के एक प्रबंध संपादक थे और उनकी मां एक प्रसिद्ध मलयाली कवि थीं। कमला ने अपना बचपन कलकत्ता में बिताया जहां उनके पिता कार्यरत थे।
अपनी मां की तरह ही कमला भी एक बेहतरीन लेखिका थीं। उनका कविता प्रेम कम उम्र में ही खिल उठा था। उन्होंने एक बैंक अधिकारी माधव दास से शादी की। जिन्होंने बाद में उनकी लेखन रुचि को प्रोत्साहित किया। इसलिए, उन्होंने अंग्रेजी और मलयालम दोनों में लिखना और प्रकाशित करना शुरू किया।
धीरे-धीरे कमला दास भारतीय अंग्रेजी कवियों की एक पीढ़ी के साथ इन-कल्चर एंथोलॉजी में दिखाई देने लगीं। उन्होंने अपने सभी छह प्रकाशित कविता संग्रहों के लिए अंग्रेजी भाषा चुनी। उनकी कविता की पहली किताब “समर इन कलकत्ता” थी, जबकि कविता की उनकी दूसरी “किताब द डिसेंडेंट्स” थी।
कमला की कई प्रसिद्ध कहानियाँ हैं जिनमें नेयपयसाम, थानुप्पु, पक्षीयुदे मनम और चंदना वारंगल शामिल हैं। उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे, जिनमें से नीरमथलम पूथा कलाम को पाठकों से सराहना के साथ-साथ आलोचना भी मिली। उनकी आखिरी किताब ‘द केप्ट वुमन एंड अदर स्टोरीज’ थी।
कमला ने दुनिया भर की यात्रा, कविता पढ़ने के लिए की, वह जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ डुइसबर्ग-एसेन, यूनिवर्सिटी ऑफ डुइसबर्ग और यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन, एडिलेड राइटर्स फेस्टिवल, फ्रैंकफर्ट बुक फेयर, यूनिवर्सिटी ऑफ किंग्स्टन, जमैका, सिंगापुर और साउथ बैंक फेस्टिवल (लंदन), साथ ही कॉनकॉर्डिया यूनिवर्सिटी (मॉन्ट्रियल, कनाडा), आदि में गईं। अंग्रेजी के अलावा, उनका काम फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और जापानी भाषाओं में उपलब्ध है।
उन्होंने केरल साहित्य अकादमी में उपाध्यक्ष और केरल बाल फिल्म सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। कमला कवि पत्रिका की संपादक भी थीं और वह इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया की कविता संपादक थीं।कमला अपने विद्रोही स्वभाव के लिए जानी जाती हैं और वर्ष 2009 में लोकप्रिय ब्रिटिश दैनिक ‘द टाइम्स’ ने उन्हें “आधुनिक अंग्रेजी भारतीय कविता की जननी” कहा।
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