यह भी पढ़ेंः Alert: होली पर वेस्ट यूपी में हिंसा का इनपुट, पुलिस ने जारी किया अलर्ट अफगानिस्तान से आए मौलाना ग्वाते अहमद ने कहा कि खुसीसी, बंदों की भलाई और अलग-अलग स्थितियों के लिए पैगाम हैं। इसके लिए उस समय और जरूरतों को जिसमें ये पैगाम दिए गए तथा आज की घटनाओं की नजर में धार्मिक ग्रंथों को समझने की जरूरत है। ताकि उनमें छिपे मतलबों को जाना जा सके और देश की परिस्थिति के हिसाब से उसको अमल में लाया जा सके। इससे हम परंपरागत मजहब, साइंस और न्याय शास्त्र से बहुत आगे बढ़ सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः Coronavirus: मेरठ के स्कूली बच्चों को किया जा रहा जागरूक, स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना को लेकर की बड़ी तैयारी उन्होंने कहा कि धार्मिक ग्रंथों को समय-काल और हालात के हिसाब से देखा परखा है। इसलिए ही राजा उमर ने परिस्थिति की आवश्यक्ता को समझ कर अकाल के दौरान चोरियों के लिए कठोर सजा को बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो दौर चल रहा है उसमें धैर्य की जरूरत है। देश में अमन के दुश्मन हजार हैं और अमन को चाहने वाले सिर्फ दो भाई है। एक है हिंदू और दूसरा मुस्लिम। इसलिए दोनों भाइयों को आपस में प्यार और सौहार्द से भाईचारा बनाकर रहना चाहिए।