मेरठ

इस सांसद ने सदन में रखी वेस्ट यूपी की 60 साल पुरानी मांग आैर दिए बुनियादी आंकड़े तो हतप्रभ रह गए सभी

पहली बार किसी सांसद ने सदन में उठाया यह मामला

मेरठJul 26, 2018 / 08:01 pm

sanjay sharma

इस सांसद ने राज्य सभा में रखी वेस्ट यूपी की 60 साल पुरानी मांग आैर दिए बुनियादी आंकड़े तो हतप्रभ रह गए सभी

मेरठ। पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग अभी तक सड़क तक ही सीमित थी, लेकिन अब मांग को लेकर आंदोलनरत अधिवक्ताओं के साथ पश्चिम के जनप्रतिनिधि भी साथ आ गए हैं। पहले इस मुद्दे को मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान ने लोकसभा में उठाया था। अब मेरठ से राज्य सभा सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने शून्यकाल के दौरान सदन में पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए हाईकोर्ट बेंच का मुद्दा उठाया। जिसमें उन्होंने सदन के मध्यम से मांग की पश्चिम उप्र को हाईकोर्ट बेंच की नितांत आवश्यकता है।
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60 साल से उठ रही बेंच की मांग

उन्होंने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग करीब 60 वर्षों से अधिक समय से चलती रही है। सहारनपुर से इलाहाबाद हाई कोर्ट की दूरी 750 किलोमीटर हैं। मेरठ जो केंद्र में हैं वहां से हाई कोर्ट की दूरी 620 किलोमीटर हैं। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य हैं। वहां की आबादी लगभग 22 करोड़ हैं। उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से हाईकोर्ट इलाहाबाद में स्थित हैं तथा उसकी एक बेंच लखनऊ में स्थित हैं जो इलाहाबाद से मात्र 200 किलोमीटर दूरी पर हैं। उन्होंने सदन में बताया कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों से कम दूरी पर हैं। देश के अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आसाम, में एक से अधिक बेंच हैं जबकि उनकी आबादी उत्तर प्रदेश से बहुत कम हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ऐसा अन्याय क्यों? जहां तक देश में केस की संख्या का सवाल हैं तो पूरे देश की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में तीन करोड़ 20 लाख, उच्च न्यायालयों में 42 लाख तथा उच्चत्तम न्यायालय में 55 हजार केस पेंडिंग हैं।
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एक्ट का दिया हवाला

सांसद विजय पाल तोमर ने सदन को बताया कि मध्य प्रदेश में जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर में हाईकोर्ट बेंच हैं। आसाम में भी गुवाहाटी की दो सर्विस बेंच हैं। स्टेट रजिस्टेशन एक्ट 1956 में 3 स्टेट को टच नहीं किया गया हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश व बिहार को अलग रखा गया। ऐसे में संसद को पूर्ण अधिकार हैं नई बेंच बनाने का इसी क्रम में संसद ने ही 1976 में कानून बनाकर झारखण्ड में बेंच बनायी थी। ऐसे में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की राय लेना जरुरी नहीं हैं।
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प्रदेश में पेंडिंग है 14 लाख केस

अकेले उत्तर प्रदेश में 14 लाख केस पेंडिंग हैं। जिनमें से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों के आधे से अधिक (9 लाख) केस पेंडिंग हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें आती हैं चली जाती हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता न्याय की आस में लगी रहती है।
प्रदेश सरकारें दे चुकी प्रस्ताव

विजय पाल तोमर ने सदन को बताया कि दो-दो बार प्रदेश सरकारों ने प्रस्ताव दिया हैं। जसवंत सिंह आयोग ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए बेंच की संस्तुति की है। उत्तर प्रदेश में भी गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, तथा मेरठ में बेंच बना दी जाए तो जनहित में उचित रहेगा।
अधिवक्ताओं ने किया समर्थन

पश्चिम उप्र में हाईकोर्ट बेंच का मुद्दा सदन में उठाने पर सांसद विजय पाल तोमर का मेरठ के अधिवक्ताओं ने समर्थन किया है। पश्चिम हाईकोर्ट बेंच स्थापना समिति के प्रबोध कुमार शर्मा ने कहा कि पहली बार किसी सांसद ने हमारी मांग को सदन में उठाया है। उन्होंने सांसद तोमर की सराहना की।

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