शारदा गुप्ता पेशे से कभी स्कूल अध्यापिका रही और उन्होंने समाज को संस्कार दिये और एक दिशा दिखाई, लेकिन आज उसी शारदा गुप्ता के रहने के लिए उनका भरा पूरा घर छोटा पड़ गया और बच्चों ने उन्हें इस वृद्धआश्रम में रहने के लिए छोड़ दिया। उनके बेटों की मेरठ में नामी पब्लिकेशन कंपनी है। दो बेटे दिल्ली रोड स्थित आवासीय कालोनी में रहते हैं और एक बेटी मप्र के इंदौर में है। बेटों राहुल और पंकज के पास मां को रखने के लिए न तो घर में जगह है और न ही मां की देखभाल करने के लिए समय हैं। शारदा बताती हैं कि उनकी बहुओं के पास भी उनकी देखभाल करने के लिए समय नहीं हैं। बहुएं अपनी बीमारी का रोना रोती हैं ऐसे में वे उनकी क्या देखभाल करेंगी।
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